SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 647
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 632/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री सुमेरचन्द जैन बम्ब रामपुर के श्री सुमेरचन्द जैन वर्तमान में दि. जैन समाज रामपुर के अध्यक्ष हैं तथा पिछले 27 वर्षों से अहिच्छेत्र पार्श्वनाथ अतीर्थ क्षेत्र रामनगर किला के मुख्यमंत्री हैं। जो अपने आप में एक रिकार्ड है। वर्तमान में अहिच्छेत्र पार्श्वनाथ का जो व्य जीर्णोद्धार हुआ है उसमें आपका प्रमुख योगदान रहा है। यात्रा प्रेमी हैं और पूरे भारत की दो बार यात्रा कर चुके हैं। आपका जन्म 19 जनवरी सन् 1930 को हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से सन् 1950 में एम.ए. एवं सन् 1951 में एल.एल.बी. किया और फिर वकालात करने लगे। सन् 1952 में आपका विवाह श्रीमती उर्मिला जैन से हुआ। आपका एक मात्र पुत्र पंकज जैन 37 वर्षीय है तथा बी.ए.एल.एल.बी. है। वकालात करते हैं। समाज में आपकी अच्छी प्रतिष्ठा है। सबसे मधुर व्यवहार करते हैं। पता :- जैन मंदिर स्ट्रीट, रामपुर (उ प्रदेश ) श्री सुमेरमल पांड्या सामाजिक सेवा के क्षेत्र में ख्याति भाश्रीजी पवा के सुखश्री सुमेरमल पांड्या की सामाजिक सेवाऐं उल्लेखनीय हैं । आपके पिताजी खण्डेलवाल जैन समाज के प्रमुख माने जाते थे तथा सप्तम प्रतिमाधारी थे। आपका स्वर्गवास 12 अगस्त सन् 1959 को हुआ। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती भंवरीदेवी का तो बहुत पहिले ही निधन हो गया था। श्री सुमेरमल जी का जन्म 14.10.1929 को हुआ। अजमेर बोर्ड से मैट्रिक किया। आगरा में आपका कार्पेट निर्माण एवं मनोलेंडिंग का काम है। सन 1946 में आपका विवाह श्रीमती गुलाबदेवी से हुआ जिनसे आपको तीन पुत्र एवं दो पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य मिल चुका है। आपके बड़े पुत्र सुरेशकुमार 40) वर्षीय युवा हैं। बी.एस.सी. हैं। पत्नी का नाम रंजना है। दूसरे पुत्र नरेश कुमार बी.ए. हैं। पत्नी का अमिता है जो स्व. ताराचन्द जी ठोलिया जयपुर की पुत्री हैं। तीसरा पुत्र दिनेश कुमार एम.ए.हैं । पत्नी का नाम यशोधरा है जो स्व. सर सेठ भागचन्द जो अजमेर की पुत्री हैं । आप फुलेरा, कुचामन, लूणा के पंचकल्याणक प्रतिष्ठाओं में विभिन्न पदों से सुशोभित हो चुके हैं। तीर्थयात्रा प्रेमी हैं। कट्टर मुनिभक्त हैं । कुचामन विकास समिति के सदस्य हैं। लूणवा स्मारिका प्रकाशन में पूरा योग दिया था। पता रोज कार्पेट्स, जोन्स मिल, आगरा श्री सौभाग्यमल काला राजस्थान के जयपुर जिले में दूदू ग्राम में माघ शुक्ला 5 वि. सं. 1975 को जन्मे श्री काला जी वर्तमान में लखनऊ के गणमान्य महानुभावों में गिने जाते हैं। आप विशेष शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके। जब 31 वर्ष के थे तभी आपके पिताश्री राजमल जी का स्वर्गवास हो गया। इसके पूर्व आपका विवाह अमरोहा में श्रीमती शांतिदेवी के साथ संपन्न हो गया था । आपको प्रारंभिक जीवन में बड़ा संघर्ष करना पड़ा लेकिन अपनी कठोर मेहनत एवं लग्नशीलता के कारण आपको किराने के व्यवसाय में सफलता पर सफलता मिलने और अपनी
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy