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________________ उत्तर प्रदेश का जैन समाज/633 फर्म लखनऊ किराना कंपनी को शीर्ष स्थान पर लाने में सफल हुए। आपकी फर्म किराना, यूनानी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की फर्म है । सन् 1975 में आपने व्यापार से अवकाश ले लिया और अपना समस्त जीवन धार्मिक एवं सामाजिक क्षेत्र में बिताने लगे। आपके चार पुत्र एवं एक पुत्री हैं । सभी पुत्र राकेश जोगेश,विजय सभी उच्च शिक्षित हैं। प्रमेश पढ़ रहा है । पुत्री मंजू भी उच्च शिक्षित है। विशेष - श्री काला जी श्रावस्ती तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष हैं । लखनऊ जैन समाज . . .के पहिले अध्यक्ष एवं वर्तमान में संरक्षक हैं। दि.जैन महासभा की उत्तर प्रदेश शाखा के श्रीपती शातिदेवी आपली भी कार्यकारिणी सदस्य,जैन गजट,भा.दि.जैन युवा परिषद के संरक्षक हैं । मुनियों को आप दोनों सौपायमल जी ही आहार देते रहते हैं। एक बार श्रावस्ती एवं हस्तिनापुर तक यात्रा संघ ले गये थे। अभी आपने ऋषभायण जैसे विशाल हिन्दी महाकाव्य का लेखन एवं प्रकाशन करवाया है । फर्म - लखनऊ किराना कम्पनी,पवन ट्रेडर्स,भारत किराना स्टोर, विशाल ट्रेडर्स, पचशील ट्रेडर्स, जैन आयुर्वेदिक्स । श्री वैद्य हुकमचन्द मोठ्या आगरा की नाई की मंडी में वैद्य का सन्द की गोदकामगज में एवं नगर में उनकी सामाजिक सेवा एवं रोग की पकड़ के लिये प्रसिद्ध हैं । सादा जीवन उच्च विचार को जीवन में उतारने वाले एवं मुनिभक्त वैद्य जी समाज में सपादत व्यक्ति हैं। आपका जन्म भादवा बुदी 12 संवत् 1975 में हुआ। आयुर्वेद उपाध्याय एवं जैन दर्शन शास्त्री की परीक्षाएं पास करने के पश्चात आप व्यावहारिक जीवन को मुड़े और वैद्यक एवं अध्यापन कार्य करने लगे। संवत् 1.195 में आपका विवाह श्रीमती श्यामबाई से हुआ जिनका स्वर्गवास सन 1943 में हुआ। वे स्वभाव से विनम्र एवं सरल परिणामी थी। आपके एक मात्र पुत्री हेमवती हुई जिनका विवाह हो चुका है तथा वह चार पुत्र एवं एक पुत्री की माता है। वैद्यजी महान चारित्रवान है ! मात्र 25 वर्ष की आयु में विधुर होने के पश्चात् आपने आजन्म अविवाहित रहकर सेवा एवं आयुर्वेद जगत में रहने का दृढ़ निश्चय कर लिया। अब तक आप सैंकड़ों विद्यार्थियों को अच्छा नागरिक बनाकर जीवन निर्माण कर चुके हैं। आप एक बार मंदिर से मूर्तियाँ चोरी होने पर मूर्तियां मिलने तक अनशन पर बैठ गये और जब मूर्तियां मिल गई तब ही अनशन तोड़ा । इससे आपकी सेवाभावना की सभी ओर प्रशंसा होने लगी है। पता : 5/4 कटरा इतवारी नाई की मंडी आगरा
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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