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________________ 520/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री कुन्दनलाल साह गिरिडीह के श्री कुन्दनलाल जी साह वयोवृद्ध समाजसेवी हैं। आप 80 को पार करने वाले हैं। आपके पिताजी श्री दयालचंद जी साह एवं माताजी श्रीमती गुलाब बाई जी सार का निधन कुछ वर्षों पूर्व हो चुका है। 12 वर्ष की छोटी आयु में ही आपका विवाह श्रीमती फूलदेवी के साथ हो गया। जिनसे आपको दो पुत्र सर्व श्री उम्मेदमल एवं सुमेरचंद एवं दो पुत्रियों लाडबाई एवं कंचनबाई की प्राप्ति हुई। आप दोनों पति पत्नी के शुद्ध खान-पान का नियम है। मुनि भक्त हैं। आहार आदि से साधुओं की सेवा करते हैं। आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री उम्मेदमल 52 वर्ष के हैं। गुणमाला पत्नी का नाम है। तीन पुत्र, एक पुत्री से अलंकृत हैं। श्री उम्मेदमल जी धर्मचक्र समिति के महामंत्री, जम्बूद्वीप ज्ञान ज्योति रथ के महामंत्री एवं महासभा की पूर्वांचल वैय्यावृतसमिति के महामंत्री हैं। सम्मेदशिखर जी में लाखों की लागत से बन है मध्य लोक शोध संस्थान के संयुक्त मंत्री हैं। समाजसेवा में आपको अधिक रुचि है। आपके छोटे भाई सुमेरचंद 40 वर्षीय हैं। पत्नी का नाम चंदा देवी है जो एक पुत्री एवं तीन पुत्रों की मां है। आपका परिवार राजस्थान में भोंडा ग्राम का है। पता :- शांति भवन रोड, गिरडीह, बिहार श्री केशरीमल काला दाल (राजस्थान) से 65 वर्ष पूर्व आकर गया में बसे श्री केशरीमल जी काला का जन्म श्रावण सुदी 7 संवत् 1963 में हुआ। आपके पिताजी श्री चम्पालाल जी का 95 वर्ष की आयु में भादवा सुदी 14 को निधन हुआ था। तथा माताजी श्रीमती सद्दी देवी जी का 80 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हुआ। आपने सामान्य शिक्षा प्राप्त की और वस्त्र व्यवसाय में लग गये जिसमें आपने अच्छी सफलता प्राप्त की। संवत् 1984 में आपका विवाह श्रीमती सेठ देवी सुपुत्री श्री लखमीचंद जी ठोलिया गुढा साल्ट से हुआ जिनसे आपको दो पुत्र एवं तीन पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ज्येष्ठ पुत्र श्री महावीर प्रसाद जी 48 वर्ष के हैं। पत्नी का नाम कंचनदेवी है एक पुत्र एवं दो पुत्रियों की मां है। छोटा पुत्र प्रदीपकुमार है अभी अविवाहित है। आपकी तीन पुत्रियाँ शांति बाई, विमलाबाई एवं पुष्पाबाई का विवाह हो चुका है। गया में आयोजित इन्द्रध्वज विधान में आप दोनों इन्द्र इन्द्राणी के पद से सुशोभित हुये थे । दि. जैन समाज गया के 25 वर्ष तक सेक्रेट्री रह चुके हैं। वर्तमान में भी आप समाज के विशिष्ट व्यक्ति हैं । मुनियों के भक्त हैं। आपकी धर्मपत्नी के शुद्ध खान-पान का नियम है। पूर्णतः सजग रहते हैं। नियमत आहार विहार करते हैं। पत्ता : श्री केशरीमल काला, के.पी. रमन होटल की गली, चौक, गया (बिहार)
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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