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________________ बिहार प्रदेश का जैन समाज/515 श्री इन्द्रचन्द अजमेरा राजस्थान से बिहार में आने वाला अजमेरा जी का प्रमुख परिवार है । करीब 150 वर्ष पूर्व श्री शिवनारायण जी हजारीबाग आकर यहाँ के हो गये। श्री इन्द्रचंद जी अजमेरा इसी परिवार के हैं । आपने भी अपने जीवन के 73 बसन्त देख लिये हैं। आप प्राइमरी शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात व्यवसाय में लग गये। आपके पिताजी श्री चम्पालाल जी का सन् 1936 में ही देहान्त हो गया था। आपकी धर्मपत्नी का नाम श्रीमती कमलादेवी है जिनसे आपको तीन पुत्र एवं चार पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री संतोषकुमार 48 वर्षीय युवा समाजसेवी हैं । दूसरे पुत्र संजय 27 वर्ष तथा तृतीय पुत्र राजेशकुमार 24 वर्षीय युवा हैं । सभी चारों पुत्रियों विद्यादेवी, हेमलता,प्रेमदेवी एवं बीना का विवाह हो चुका है। __ अजमेरा जी ने शिखर जी की बीस पंथी कोठी में बगीचा वाले मंदिर में मूर्ति विराजमान की है। आपके पूर्वज बिहार के बड़े जमीदार थे जिनके पास 45 गाँवों का लगान वसूल करने का अधिकार प्राप्त था। आपका पूरा परिवार मुनिभक्त है। आपके सबसे बड़े भाई ताराचंद जी का 18 वर्ष पूर्व स्वर्गवास हो चुका है। शेष चार छोटे भाईयों में से जगनमल जी (68 वर्ष) धरमचंद जी(55 वर्ष) अपना व्यवसाय कर रहे हैं तथा महावीर प्रसाद जी एवं गजानन्द जी का स्वर्गवास हो चुका है । पता : इन्द्रचन्द संतोष कुमार, सारा गजर फर्नीचर आर्ट भावान महावीर मार्ग,हजारीबाग। श्री कन्हैयालाल बड़जात्या सामाजिक एवं धार्मिक गतिविधियों में पूर्ण रुचि रखने वाले पटना के श्री कन्हैयालाल बड़जात्या का जन्म आसोज बुदी 13 संवत् 1970 को हुआ । सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप बर्तन विक्रेता के व्यवसाय में चले गये । संवत् 1991 में आपका विवाह श्रीमती विद्यादेवी के साथ हुआ जिनसे आपको एक पुत्र एवं तीन पुत्रियों की प्राप्ति हुई । आपके पुत्र श्री सूरजमल 50 पार कर चुके हैं तथा उनकी धर्मपत्नी श्रीमती चन्द्रमणि देवी का 6-7 वर्ष पूर्व स्वर्गवास हो चुका है। आपके तीन पुत्र सुनील, अनिल एवं अजय हैं । सुनील का विवाह हो चुका है । उसकी पत्नी का नाम मंजू । देबी है । श्री.कन्हैयालाल जी के तीन पुत्रियाँ-गुणमाला,वीरबाला एवं मीना है । तीनों का ही विवाह हो चुका है । आप पटना में आयोजित सिद्धचक्र विधान में प्रमुख आयोजक थे । मीठापुर (पटना) के दि.जैन मंदिर निर्माण में प्रमुख सहयोगी रहे । उस मंदिर के अन्य प्रबन्धक भी रहे । राजगृही में धर्मशाला के कमरे का जीर्णोद्धार कराया । आपके शुद्ध खानपान का नियम था । आपकी धर्मपत्नी, पुत्र वधू एवं पौत्र वधू तीनों ने दशलक्षण व्रत के उपवास किये हैं । जनमंगल कलश के संचालक बने तथा जम्बूदीप ज्ञान ज्योति रथ के सारथी बनने का यशस्वी कार्य किया । आपका दिनांक 9.5.58 को स्वर्गवास हो गया । आप प्रतिदिन पूजापाठ करते थे तथा शांतिपूर्वक जीवन यापन करते थे । पता : जैन स्टोर्स, न्यू मार्केट, पटना
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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