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________________ 514/ जैन समाज का वृहद् इतिहास आपके चारों ही पुत्र बी कॉम है । प्रदीपकुमार (अव) की धर्मपली निर्मला देवी है । दो पुत्रियों एवं एक पुत्र से अलंकृत हैं । दिलीप कुमार (33 वर्ष) की पत्नी का नाम सुनीता है । एक पुत्र एवं एक पुत्री से सुशोभित हैं । तीसरे पुत्र ललित कुमार (30 वर्ष) को श्रीमती अनिता पली हैं एक पुत्र की माँ हैं। चतुर्थ पुत्र अनिल कुमार जयपुर में व्यवसायरत हैं। आपकी धर्मपत्नी का नाम संगीता है। आपके तीन छोटे भाई सम्पतलाल जी (55 वर्ष) श्रीचंदजी (50 वर्ष) एवं मांगीलाल जो 45 वर्षीय हैं। आर्यिका सुपार्श्वमती माताजो आपके परिवार में से हैं। चूडीवाल जी आतिथ्य प्रेमी हैं । लेखक को एवं श्री रामचन्द जो रारा को रामगढ़ में आपका आतिथ्य प्राप्त हुआ था। पताः नेशनल स्टोर्स, मेन रोड,रामगढ (हजारी बाग) बिहार श्री आनन्दीलाल नरेन्द्रकुमार सेठी श्री आनन्दीलाल जी सेठी का गया जैन समाज में प्रतिष्ठित स्थान है । उनकी धर्मपत्नी श्रीमती कपूरीदेवी जी मंत्राणी के नाम से प्रसिद्ध थी जिनका अभी 1 जुलाई 91 को स्वर्गवास हो गया। आप दो प्रतिमाधारी थी । समाजसेवा की वे प्रतिमूर्ति थी। श्री सेठी जी का जन्म सन् 1918 में हुआ । सामान्य शिक्षा के पश्चात् आप रेडियो एवं टी सी. व्यवसाय करने लगे । सन् 1932 में आपका विवाह कपूरीदेवी के साथ हुआ जिनसे आपको चार पुत्र एवं तीन पुत्रियों को प्राप्ति हुई। आपके सबसे बड़े पुत्र श्री नरेन्द्रकुमार है । गुणमाला आपकी धर्मपत्नी है । एक पुत्र एवं दो पुत्रियों से अलंकृत हैं । आप गया जैन समाज के 4 वर्ष तक अध्यक्ष रह चुके हैं। स्वभाव से समाजसेवी हैं। दूसरे पुत्र श्री सुरेन्द्रकुमार बी.ए. हैं । पत्नी का नाम चन्द्रकान्ता है। 4 पुत्रियों एवं एक पुत्र की जननी है। तीसरे पुत्र देवेन्द्रकुमार बी.एस.सी. है इलैक्ट्रोनिक इंजीनियर है। आपकी पत्नी मालती के दो पुत्र एवं दो पुत्रियाँ हैं । सबसे छोटे पुत्र जितेन्द्रकुमार इंजीनियर हैं । 42 वर्षीय युवा हैं। आपकी पली कुसुम बी.ए. है। दो पुत्र एवं एक पुत्री की जननी है। इन्दौर में रहते हैं। जहाजरानी में मेट इस्टर्न शिपिंग कम्पनी में जब आप चीफ इंजीनियर थे तब विश्व भ्रमण कर चुके हैं। ___सेठीजी के तीन पुत्रियाँ शांतिदेवी हीरादेवी एवं जयश्री है सभी विवाहित हैं । जनवरी 1981 में इन्दौर कंचन बाग में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में आप दोनों भगवान के माता-पिता बने थे। आपके द्वारा जम्बूद्वीप हस्तिनापुर एवं ईसरी पार्श्वनाथ के मंदिरों में मूर्तियाँ विराजमान की गयी हैं। स्व.श्रीमतो कपूरीदेवी जी एवं आप स्वयं मुनिभक्त हैं। आचार्य विद्यासागर जी के संघ में रहकर वर्षों तक उनकी आहार आदि से सेवा कर चुके हैं तथा उनके उपदेशों को श्रवण कर चुके हैं । श्रीमती कपूरीदेवी एक अच्छी लायबेरी अड़ गई हैं जिसको आपके पुत्रों ने पूर्ण व्यवस्थित कर रखा है। पता:1 अनिल सन्स,जी.बी.रोड,गया 2 जैन रेडियो स्टोर्स, भगवान महावीर पथ, गया - 3 अनिल सन्स,28 इन्द्र मार्केट,इन्दौर
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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