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________________ राजस्थान प्रदेश का जैन समाज 491 श्री मूलचन्द लुहाड़िया कर्म ही जीवन है, जिसका मुख्य उद्देश्य है । प्रखर प्रवक्ता धर्म के प्रति प्रगाढ़ आस्था, लेखनी के धनी श्री मूलचन्द लुहाड़िया का जन्म 2 दिसम्बर 1929 को हुआ ! आपको जन्म स्थली व्यावसायिक स्थल से कुछ दूर नरायना जिला जयपुर) है । आपके पिताजी श्री सुवालाल जी एवं माताजी श्रीमदी केवलदेवी के नाम से विख्यात हैं । आपके पिताजी का सन् 1965 में 7 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हुआ। माताजी (93 वर्ष) की छत्रछाया अभी प्राप्त है सन् 1948 में आपने इन्टरमीडीयेट किया । सन् 1949 में आपने श्रीमती जीवन देवी के साथ विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया । श्रीमतो जीवन देवी भी आपके ही अनुरूप सरल स्वभाव एवं धर्म के प्रति आस्था वाली हैं । श्रीमती जीवन देवी से आपको तीन पुत्र एवं चार पुत्रियों के पिता होने का गौरव प्राप्त है । आपके तीनों पुत्रों अशोक कुमार, अनिल कुमार एवं अतुल कुमार ने सी.ए. किया है और आपके साथ कार्यरत हैं। सभी पुत्र पुत्रियों के विवाह हो चुके हैं। शुरू से ही कर्म को महत्व देने वाले श्री मूलचंद जी ने अपना व्यापार स्थल मदनगंज-किशनगढ बनाया। टैक्सटाइल व्यापार एवं गवर्नमेन्ट कान्ट्रेक्टर बनकर पूर्ण सफलता प्राप्त की है। व्यापार में भी आप एक सफल व्यापारी हैं । श्री लुहाड़िया जी का जैन समाज में विशेष स्थान है। इस समय आप श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन तेरापंथ पंचायत किशनगढ़ के अध्यक्ष भी हैं । लेख लिखने,कविता लिखने एवं ग्रन्थों का शोध करने में आपकी विशेष रुचि है । मदनगंज में श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन पंच कल्याणक महोत्सव हुआ उस समय आप महामंत्री के पद पर रहे । पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को महोत्सव श्रीमती बीवनदेवो में लाने एवं महोत्सव के सभी कार्यक्रमों में भाग लेकर महोत्सव की सफलता एवं उसी महोत्सव में भारतीय दिगम्बर जैन विद्वत परिषद् की सभा आयोजित कराने का श्रेय आपको ही है । आचार्य श्री ज्ञानसागर जी एवं आचार्य श्री विद्यासागर जो दोनों में ही आपकी भक्ति है, स्वाध्याय के प्रति आपकी गहरी रुचि है । प्रायः घंटों एकान्त में बैठकर स्वाध्याय किया करते हैं। श्री लुहाड़िया जी उदार स्वभाव के व्यक्ति हैं । शिथिलाचर के विरोधी हैं । अभी आपने मदनगंज-किशनगढ में आयोजित पंच कल्याणक के अवसर पर पूज्य आचार्य विद्यासागर जी द्वारा दिये गये प्रवचनों का एक संकलन प्रकाशित कराया है जो "प्रवचन पंचामृत के नाम से है। पता : लुहाड़िया सदन,जयपुर रोड,मदनगंज-किशनगढ (अजमेर) श्री मूलचंद सौगानी अजमेर के जैन समाज में लोकप्रिय एवं कर्मठ समाजसेवी श्री मूलचंद सौगाती का जन्म कार्तिक शक्ता पंचमी संवत 1981 को हआ। इंटरमीजियेट परीक्षा पास करने के पश्चात् । रेल्वे में सर्विस करने लगे। वहां से रिटायर होने के पश्चात् आटोमोबाइल्स का व्यवसाय प्रारंभ । कर दिया । आपके पिताजी श्री बालचन्द जी एवं माताजी श्रीमती गुमानबाई दोनों का स्वर्गवास ,
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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