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________________ 490/ जैन समाज का वृहद इतिहास शास्त्री के पास शास्त्री प्रथम खंड तक अध्ययन किया फिर हुकमचंद जैन संस्कृत महाविद्यालय इन्दौर में वाराणसी की शासी परीक्षा पास किया। यहां पर पं.बंशीधर जी शास्त्री गुरुजी थे। शिक्षा समाप्त करने के पश्चात् 5 वर्ष तक दि.जैन विद्यालय केकड़ी में प्रधानाध्यापक रहे और उसके पश्चात् सर्राफी के व्यवसाय में चले गये । आपका विवाह संवत 17 में शांतिदेवी के साथ संपन्न हुआ। जिनसे आपको सात पुत्र एवं दो पुत्रियां के पिता बनने का गौरव प्राप्त हुआ। सोनी जी पुण्यशाली व्यक्ति हैं । दि.जैन संस्था केकड़ी के सन् 1975 से ही महामंत्री हैं । श्री मुनिसुब्रतनाथ दि.जैन मंदिर के अध्यक्ष,श्री शांतिनाथ दि.जैन अ.क्षेत्र बघेरा के सन् 1982 से महामंत्री हैं। सभी तीर्थों की दो बार यात्रा कर चुके हैं। केकड़ी के सभी सामाजिक कार्यों में रुचि पूर्वक भाग लेते हैं। आपने अपने परिश्रम एवं लगन से अपनी पोजीशन बनाई है | आपके पूर्वजों ने 150 वर्ष पूर्व केकड़ो में मुनिसुव्रतनाथ स्वामी के मंदिर का निर्माण कराया था। आपके पूर्वज पहिले सरवाड़ में थे फिर 200 वर्ष से केकड़ी में रह रहे हैं। 1. श्री कैलाशचन्द्र आपके ज्येष्ठ पुत्र हैं । 26 अप्रैल 44 को जन्में आपने 1953 में संस्कृत में प्रथमा परीक्षा पास की। सन् 1960 में तारादेवी के साथ विवाह हुआ। आप पांच पुत्रों से अलंकृत हैं । युवा समाजसेवी, मधुरभाषी व्यवहार कुशल, समाज की उत्सव कमेटी के अध्यच,बघेरा अ.क्षेत्र के सहायक मंत्री,सर्राफा संघ के मंत्री, राजस्थान सर्राफा संघ की कार्यकारिणी के सदस्य हैं। 2. श्री पदपकुमार - शिक्षा हायर सैकण्डरी,व्यवसाय कृषि एवं सर्राफा विवाह - 1965 । पत्नी सुलोचना, दो पुत्र एवं दो पुत्रियों के पिता । 3. श्री महेन्द्र कुमार - शिक्षा-हायर सैकण्डरी, कृषि एवं सर्राफा का कार्य, 1968 में विवाहित, पत्नी चन्द्रकान्ता, दो पुत्र एवं एक पुत्री के पिता । 4-श्री सुरेन्द्रकुमार -एम.ए.बी.एस.सी,कृषि एवं व्यवसाय । सन् 1971 में सुलोचना से विवाह, दो पुत्र एवं दो पुत्रियों से गौरवान्वित । 5. श्री नरेन्द्रकुमार - बी.एस.सी.(कृषि) बैंक सर्विस,सन् 1974 में श्रीमती शकुन्तला देवी से विवाह । तीन पुत्रों के पिता । 6- श्री राजेन्द्र कुमार - बी.कॉम, व्यापार करते हैं,सन् 1978 में आभा देवी के साथ विवाह हुआ। दो पुत्रों के पिता है। 7. श्री धीरेन्द्र कुमार - बी.कॉम, बैंक सर्विस, सन 1986 में श्रीमती रेखादेवी से विवाह हुआ। एक पुत्री एवं एक पुत्र से गौरवान्वित । सभी पुत्र एवं पौत्र आपके आज्ञाकारी एवं विनय संपन्न हैं । पता - माणकचंद कैलाशचंद सोनी,घंटाघर के पास.केकड़ी
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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