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________________ राजस्थान प्रदेश का जैन समाज (469 यहां पर खण्डेलवाल, अग्रवाल, पल्लीवाल समाज के करीब 60 घर हैं। दो शिखरबन्द मंदिर हैं तथा 1500 से अधिक घर स्थानकवासी समाज के हैं तथा तहसील में भी स्थानकवासी समाज की सघन बस्ती है । ब्यावर तहसील में विजयनगर में दिगम्बर जैन समाज के 41 परिवार, खण्डेलवाल के 40 परिवार, अग्रवाल जैनों का एक परिवार तथा स्थानकवासियों के 700 परिवार हैं। एक दिगम्बर जैन मंदिर है। इसी तरह गुलाबपुरा में भी खुलवालों के 4. नर है तथा एक नंदिर है केकड़ी :- धर्म प्राण केकड़ी नगर अजमेर जिले में अच्छी व्यापारिक मंडी हैं। पूरे शहर की जनसंख्या करीब 25 हजार हैं। केकड़ी को पंडितों की नगरी रहने का भी सौभाग्य मिल चुका है। यहां प्रतिष्ठाचार्य पं. धत्रालाल जी पाटनी, पं. संतोषकुमार जी शास्त्री, बा. लक्ष्मीचन्द जी सेठी, भंवरलाल जी कासलीवाल आनरेरी मजिस्ट्रेट, पं. मिलापचंद जी कटारिया, पं. दीपचन्द जी पांड्या, पं. अमोलकचन्द जी पांड्या जैसे विद्वान हो गये हैं। वर्तमान में पं. रतनलाल जी कटारिया भी शास्त्रों के अच्छे ज्ञाता हैं। केकड़ी में जैन विवाह विधि से संवत् 1899 में प्रतिष्ठाचार्य धन्नालाल जी का विवाह हुआ । यहां पर खण्डेलवाल जैन समाज के 81 परिवार, अग्रवाल जैनों के 45 परिवार एवं ओसवाल समाज के 85 परिवार हैं। पूरे समाज में समन्वय है। श्री भंवरलाल जी जैन वर्तमान में नगर परिषद् के अध्यक्ष हैं। यहां तीन मंदिर हैं शांतिनाथ दि. जैन मंदिर, मुनिसुव्रतनाथ मंदिर एवं दि. जैन चन्द्रप्रभु चैत्यालय है। यहां दि. जैन औषधालय, समन्तभद्र दि. जैन विद्यालय, एवं दि. जैन धर्मशाला है । खण्डेलवालों में कटारिया, सोनी, ठोलिया, बज, छाबड़ा, पांड्या, पाटनी, गदिया, बाकलीवाल, रांवका, गंगवाल, साह गोत्रों के परिवार हैं। केकड़ी का इतिहास 90 वर्ष पुराना माना जाता है। संस्कृत में केकड़ी का नाम कनकावती कहलाता है। डिव्यका नामक अंग्रेज ने करीब 125 वर्ष पहिले नई केकड़ी बसायी । केवड़ी का कटारिया परिवार प्रसिद्ध परिवार है। श्री मिश्रीलाल जी कटारिया एवं श्री माणकचंद जी सोनी प्रतिष्ठित व्यक्तियों में से हैं। मेहरूकलां :- केकड़ी से 22 कि.मी. सावर लाइन पर महरूकला ग्राम है जो 800 घरों की बस्ती है। यहां अग्रवाल जैनों के 40 परिवार, खण्डेलवाल समाज के 2 परिवार रहते हैं। दो दिगम्बर जैन मंदिर हैं। यहां श्री रतनलाल जी भगत एवं बिरधीचन्द मंगल धार्मिक समाजसेवी हैं । मदनगंज किशनगढ़ :- किशनगढ स्टेट की राजधानी किशनगढ़ थी पीछे स्टेशन के पास महाराजा मदनसिंह जी ने सन् 1982-83 में मदनगंज नामक नई व्यापारिक मंडी का विकास किया। किशनगढ अब पुराना शहर है । मदनगंज व्यापारिक मंडी है। यहां आचार्य ज्ञानसागर जी, आचार्य धर्मसागर जी एवं आचार्य विद्यासागर जी महाराज एवं आचार्यकल्प श्रुतसागरजी महाराज एवं अन्य मुनि गणों का चातुर्मास हो चुका है। शहर में मुनि विहार होता ही रहता है । यद्यपि पूरा दि. जैन समाज बीस एवं तेरह पंथ में विभक्त है लेकिन दोनों में सामंजस्य | सामाजिक एवं धार्मिक कार्यों के सम्पादन के लिये तेरहपंथ, बीस पंथ नाम पंचायते हैं। दोनों पंचायतों
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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