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________________ 468/ जैन समाज का वृहद् इतिहास परिवार बिना धड़ों के हैं। शिक्षण संस्थाओं में रात्रि पाठशाला, दि. जैन औषधालय, कन्या पाठशाला (सेठ जी की) श्री महावीर जैन पुस्तकालय एवं श्री चन्द्रसागर पुस्तकालय है । __ अजमेर नगर में आचार्य विद्यासागर जी महाराज एवं सन्मति सागर जी महाराज की दीक्षा हुई थी। यहां के पंडितों में पं. हरकचन्द जी, पं. अभयकुमार जी, पं. हेमचन्द्र जी के नाम उल्लेखनीय हैं । यहां के प्रमुख परिवारों में सोनी परिवार सौगानी परिवार, पाटनी परिवार, लुहाडिया परिवार एवं फतहबन्द जी सेठी परिवार हैं। अजमेर में स्वतंत्रता सेनानी श्री अर्जुनलाल सेठी ने अपनी अंतिम सांस ली। सोनी परिवार में यहां सेठ मूलचन्द सोनी, नेमिचन्द्र जी सोनी, टीकमचंद जी सोनी एवं भागचन्द जी सोनी हुये जो सभी रायबहादुर की उपाधि से सम्मानित हुये। भागचन्द जी सोनी को भी सर की उपाधि प्राप्त थो । सोनी परिवार ने पिछली एक शताब्दी से सामाजिक सेवा में अपने आपको समाप्त रखा हैं । सानी परिवार के सभी सदस्य राष्ट्रीय स्तर के नेता रहे हैं । महासभा से जुड़े हुये ही नहीं किन्तु उसके अध्यक्ष भी रह चुके हैं । सौगानी परिवार में श्री माणकचन्द जी सौगानी. राज विधानसभा के सदस्य रहे हैं। अजमेर नगरपालिका चेयरमैन, नगर विकास न्यास के अध्यक्ष रह चुके हैं । धार्मिक विचारों से ओतप्रोत हैं । फतहचन्द जी सेठी सामाजिक क्षेत्र में अगुआ रहे हैं। वर्तमान सामाजिक कार्यकर्ताओं में श्री स्वरूपचंद जी कासलीवाल, श्री कपूरचंद जी सेटी, श्री शांतिलाल जी बड़जात्या के नाम उल्लेखनीय हैं। नसीराबाद:- अजमेर से 20 कि.मी. नसीराबाद शहर है जो नसीराबाद छावनी के नाम से अधिक प्रासद्ध है। सन् 1903 में महासभा के उपदेशक हकीम कल्याणदास ने नसीराबाद में जैन समाज के 50 घर तीन मंदिर होना लिखा था। यहां भी खण्डेलवाल समाज का बाहुल्य है । अधिकांश जैन सर्राफी एवं लेनदेन का कार्य करते हैं । 22 नवम्बर 1972 को यहां विशाल जनसमुदाय के मध्य ज्ञानसागर जी महाराज स्वयं ने आचार्य पद त्यागकर विद्यासागर जी महाराज को आचार्य पद दिया था। इसके पूर्व संवत् 1989 में आचार्य शांतिसागर जी छाणी का चातुर्मास हुआ था । नसीराबाद में संवत् 1958 वैशाख शुक्ला 3 जैन पाठशाला की स्थापना पत्रालाल जी सेठी सभापति एवं मंत्री मांगीलाल ने की है। ___ ख्यावर :-अजमेर से 50 कि.मी. दूरी पर ब्यावर नगर है जो सूती मिलों के लिये प्रसिद्ध है । वैसे ब्यावर नगर चम्पालाल रामस्वरूप रानीवालों के नाम से जैन समाज में प्रसिद्ध रहा है । ब्यावर में मुनियों का चातुर्मास होता ही रहता है लेकिन संवत् 1990 में सर्वप्रथम आचार्य शांतिसागर जी दक्षिण एवं आचार्य शांतिसागर जी छाणी का एकसाथ चातुर्मास हुआ था । जो ऐतिहासिक चातुर्मास माना जाता है । यहां पर रानीवाले सेठों की धर्मशाला एवं उसमें बहुत बड़ा सरस्वती भंडार है जिसमें हजारों पाण्डुलिपियों का संग्रह है । इस सरस्वती भंडार में हीरालाल जी सिद्धान्त शास्त्री कार्य कर चुके हैं । शास्त्र भंडार में सचित्र पाण्डुलिपियों का भी अच्छा संग्रह है। वर्तमान में यहां पं. अरुणकुमार जी शास्त्री कार्य कर रहे हैं।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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