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राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /467
अजमेर क्षेत्र का जैन समाज अजमेर जिला राजस्थान का प्रमुख जिला है । यह पांच तहसीलों में बंटा हुआ है जिनमें अजमेर, ब्यावर, केकड़ी, किशनगढ़ एवं सरवाड़ की तहसीलें हैं। सन् 1981 की जनगणना में अजमेर जिले की जनसंख्या 14,40,366 थी जिसमें जैनों की संख्या 43 : अजमेर जिले के प्रमुख नगरों में अजमेर, पुष्कर, नसीराबाद, किशनगढ़, ब्यावर, विजयनगर, सरवाड़, केकड़ी के नाम उल्लेखनीय हैं।
अजमेर :- अजमेर राजस्थान का प्रमुख नगर है एवं जिले का मुख्यालय हैं । अजमेर का पुराना नाम अजयमेरू था। जिसका उल्लेख 12 वीं शताब्दी की प्रशस्ति में मिलता है । यह नगर भट्टारकों का प्रमुख केन्द्र रहा है। यहां के अंतिम भट्टारक हर्षकीर्ति थे जिनके समाधि के पश्चात् यहां की गद्दी खाली पड़ी है। भट्टारकीय मंदिर में एक बहुत बड़ा शास्त्र भंडार भी है जिसमें हजारों ग्रंथों का संग्रह है। यहां के शास्त्र भंडार के ग्रंथों की सूची राजस्थान के जैन शास्त्र भंडारों की ग्रंथ सूची पंचम भाग में प्रकाशित हो चुकी है। अजमेर में सर्वप्रथम पंचकल्याणक प्रतिष्ठा संवत 11 में संपन्न हुई थी। संवत 1112 में छोटे वीरमी काला ने विशाल मंदिर का निर्माण करवाया जिसे बाद में मुस्लिम शासनकाल में अढाई दिन का झोपड़ा का नाम दिया गया। यहां अब तक
अनेक प्रतिष्ठायें हो चुकी हैं । संवत् 1852 में धर्मदास गंगवाल ने एक वृहद पंचकल्याणक प्रतिष्ठा का आयोजन किया जिसमें सैकड़ों मूर्तियों की प्रतिष्ठा हुई थी । इस प्रतिष्ठा में प्रतिष्टित कितनी ही प्रतिमाय जयपुर के मंदिरों में विराजमान हैं । संवत् 1912 में रायबहादुर मूलचन्द सोनी ने एक विशाल मंदिर का निर्माण कराया । जिसके निर्माण की प्रेरणा पं. सदासुख जी कासलीवाल ने दी थी । यहां के छोटे धड़े की नशियां में भगवान आदिनाथ की श्याम पाषाण की पद्मासन प्रतिमा चतुर्थकालीन है । रायबहादुर सेठ नेमिचंद जी, टीकमचंद जी की नशियां बहुत ही विशाल एवं मनोहर है । उसमें सोने की अयोध्या नगरी का निर्माण सेट मूलचन्द जी सोनी ने कराया था जिसका वृहद मेला जयपुर में । मार्च सन् 186 से 11 मार्च सन् 1896 तक रामनिवास बाग में आयोजित हुआ था। उसमें सोने की अयोध्या नगरी की रचना बहुत ही कलापूर्ण है जिसको देखने के लिये प्रतिष्ठित सैकड़ो हजारो पर्यटक आते हैं।
वर्तमान समाज :- अजमेर का वर्तमान इतिहाप्त भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है । यहां पर दिगम्बर जैन समाज के 1351 से भी अधिक परिचार हैं जिनमें 11) परिवार नुण्डेलवाल जैन समाज के 15 परिवार जैसवाल जैन समाज के अग्रवाल जैनो के 11 परिवार, पदमावती पुरवार के परिवार, लमेचू में 3 परिवार, परवार समाज के 7 परिवार, पल्लीवालों के 11) परिवार, नरसिंहपुरा एवं हूंबढ़ समाज के १० परिवार एवं ओसवाल समाज के भी 126) परिवार हैं। यहां ?। मंदिर एवं 5 नशियां हैं । तीन मंदिर नये बन रहे हैं । सन् 1911 में यहां 486 परिवार थे तथा जनसंख्या 164 थी।
यहां का पूरा समाज धड़ों में विभक्त है जो सेठ जी का धड़ा बाबाजी का बड़ा धड़ा, छोटा धड़ा, नया धड़ा, चैत्यालय धड़ा, एवं गोधों का धड़ा है । जैसवाल समाज की अलग पंचायत है तथा 400 से अधिक