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________________ राजस्थान प्रदेश का जैन समाज / 457 कार्य किया। आप मुनिभक्त हैं। पारोली में विहार करने वाले सभी साधुओं की सेवा करते हैं। I आपका राजनीति में भी अच्छा अधिकार हैं। गांव के संवत् 1996 से 2000 तक तथा 2004 से 2006 तक सरपच पद पर रहे तथा 13 वर्ष तक न्याय पंचायत के चेयरमैन रहे । आपके ज्येष्ठ पुत्र भागचन्द का जन्म 21 सितम्बर सन् 1950 को हुआ तथा सन् 1970 में विमलादेवी के साथ विवाह हुआ। आपका पारोली में ही व्यवसाय है । आपके तीन भाई श्री केशरीमल जी, घीयालाल जी एवं नंदलाल जी हैं जो अपना व्यवसाय कर रहे हैं। पता : मु.पो. पारोली पिन 305413 - श्री घनश्याम लुहाड़िया चित्तौड़ जिले में सुप्रसिद्ध श्री घनश्याम लुहाड़िया का जन्म 13 अप्रैल सन् 1940) को हुआ। आपके पिता श्री सुगनचंद जी भी जिले के प्रमुख समाजसेवी थे। राजस्थान विश्ववि द्यालय से आपने सन् 1962 में एम.ए. किया और फिर आटोमोबाइल्स एवं ट्रांसपोर्ट व्यवसाय में लग गये। सन् 1956 में आपका विवाह श्रीमती नन्दूबाई के साथ हो गया। जिनसे आपको एक पुत्र नवीन एवं सात पुत्रियां चन्दा बाई, इंदिरा बाई, गजुल बाई, किरन बाई, सुलोचना बाई, पदमाबाई एवं नमिता बाई के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. लुहाड़िया जी का जीवन सार्वजनिक सेवा भावी हैं। आप सन् 1980-85 तक राजस्थान विधान सभा के सदस्य रह चुके हैं। आप जिला कांग्रेस के कोषाध्यश्व रहे हैं। दिगम्बर जैन मंदिर शिक्षा समित के उपाध्यक्ष हैं। इसके अतिरिक्त महावीर जैन मंडल चित्तौड़ के अध्यक्ष, जम्बूद्वीप ज्ञान ज्योति, उदयपुर डिवीजन के उपाध्यक्ष, दि.जैन महासमिति उदयपुर संभाग के अध्यक्ष, पार्श्वनाथ मंदिर के ट्रस्टी हैं। इंदिरा गांधी के आह्वान पर आप जेल यात्रा पर जा चुके हैं। श्री घनश्याम जी यशस्वी समाजसेवी हैं। आतिथ्य प्रेमी हैं। आपके पिताजी श्री सुगनचंद जी भी 11 वर्ष तक एम.एल.ए. रहे तथा पंचायत समिति के प्रधान रहे। जिला कांग्रेस के अध्यक्ष एवं गाड़िया लुहार संघ के अध्यक्ष थे । भगवान महावीर 25000 वां परिनिर्वाण महोत्सव में आपने बहुत कार्य किया । पता : 500, शास्त्री नगर, चित्तौड़ । श्री श्रीसालाल सेठी सेठी गोत्रीय श्री घोसालाल जी दानिया की कोटडी समाज के वयोवृद्ध समाजसेवी हैं। श्री लक्ष्मीचंद जी आपके पिताजी थे तथा मूलचंद जी आपके दादाजी थे। श्रीमती गौर बाई आपकी माता का नाम था। तीनों का ही स्वर्गवास हो चुका है। संवत् 19900 में आपका विवाह श्रीमती कस्तूर बाई से हुआ था। वर्तमान में आप दो पुत्र एवं दो पुत्रियों से अलंकृत हैं ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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