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________________ 456/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री के.एल.गोधा आपका पूरा नाम ख्यालिलाल गोधा है। 15 मार्च सन् 1931 को जन्में आपने बी.ए. तक अध्ययन किया 19 वर्ष तक अध्यापन का कार्य करने के पश्चात् जीवन बीमा निगम में कार्य किया । आपको माता का देहान्त तो 26 दिसम्बर 47 में ही हो गया था तथा पित्ताजी श्री प्रभुलाल जी गोधा का स्वर्गवास 11 जुलाई सन् 1978 को हुआ। आपका विवाह अजमेर के सेठी परिवार में श्रीमती कमलप्रभा के साथ सन 1947 में संपन्न हआ। जिनसे आपको 4 पत्र -अनिलमैकेनिकल इंजीनियर,विजय कुमार एम.ए., दीपक बी.कॉम.एवं भूपेश चार्टर्ड अकाउन्टेन्ट एवं दो पुत्रियों रजनी बी.एस.सी.एवं प्रभा एम.एस.सी.के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है। ___ श्री गोधा जी विभिन्न संस्थाओं से जुड़े ये हैं। मन : १८ से आप विश्व हिन्दू परिपद सेन्ट्रल बोर्ड आफ ट्रस्टीज के दृस्टी तथा प्रान्तमंत्री हैं। आपको 1942 के स्वतंत्रता आंदोलन में बाल-छात्र की भूमिका रही तथा 1947 के आंदोलन में जेल जाने का सौभाग्य प्राप्त किया। आपके पिताश्री उदयपुर संभाग में दिगम्बर जैन मतावलम्बी समाज के प्रतिष्ठित विद्वान दृढप्रतिज्ञ, सिद्धान्तनिष्ठ,निर्भीक वक्ता,समन्वयवादी समालोचक और जैनेतर समाज में भी प्रतिष्ठित सत्पुरुष थे । इन्हीं दिव्य गुणों के दर्शन आपके दादाजी श्री भैरुलाल जी के व्यक्तित्व में होते थे। वे तत्कालीन राज्याधिकारी थे। पिताश्री ने कई वार आचार्यों की प्रेरणा से धार्मिक अनुष्ठान कराये। ___ आपने पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में इन्द्रादि की भूमिका 4 वर्ष पूर्व ही निभाई थी ! खण्डेलवाल पार्श्वनाथ मंदिर मे भगवान श्री शांतिनाथ जी को खड़ी प्रतिमा, प्रतिष्ठित कराकर विराजमान की । घर में लगभग 50 वर्षों में चैत्यालय रहता है। जुलाई 1984 के अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दू सम्मेलन (न्यूयार्क में आयोजित) में प्रतिनिधि के नाते अमेरिका गये । पत्र-पत्रिकाओं में राष्ट्रीय एकता व अखंडता के भावों को पुष्ट करने के प्रयोजन से लेख देते रहते हैं । राज. गीता आश्रम के सदस्य तथा दि. जैन महासभा के आजीवन सदस्य हैं । सामाजिक और राष्ट्रीय एकता की स्थापना में जैन सिद्धान्त के अनुयायी हैं। पता - 222. अशोक नगर,शासी मार्ग,उदयपुर। श्री केशरीमल सौगानी पारोली (भीलवाड़ा) के श्री केशरीमल सौगानी वयोवृद्ध समाजसेवी एवं आतिथ्य प्रेमी मलती जोवर मोती आनिभासी -SN "RS.in से हैं। आपकी जन्म तिथि वैशाख सुदी 3 संवत् 1968 है । संवत 1981 में आपका विवाह श्रीमती 'Yad av पान बाई के साथ संपन्न हुआ। जिनसे आपको एक पुत्र एवं एक पुत्री की प्राप्ति हुई । आपके VERY पिताजी श्री राजमल जी का 82 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हुआ तथा माताजी श्रीमती अलोल बाई का 11 वर्ष पूर्व निधन हुआ है। आपने पारोली पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में सौधर्म इन्द्र के पद को बिधूषित किया। आपने महावीर स्वामी को मूर्ति निर्माण करवा कर उन्हें विराजमान करने का यशस्त्री
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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