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________________ 436 / जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री महावीर प्रसाद जैन लालासवाला समाजसेवा में सदैव अग्रिम पंक्ति में रहने वाले श्री महावीर प्रसाद जैन लालासवाला का जन्म 14 मई सन् 42 को हुआ। बी. कॉम. तक शिक्षा प्राप्त करने के साथ ही आपने जैनधर्म विशारद भी किया। आपके स्व. चन्द जी जैन हते थे। इसलिये लालासवाला आपका उप नाम पड़ गया। वैसे आपका काला गौत्र है। आपका अनेक संस्थाओं से संबंध रहा। दि. जैन अ. क्षेत्र लूणवां के पांच वर्ष तक अध्यक्ष रहे। इसी तरह सीकर के बीस पंथी आम्नाय वाले मन्दिर के पांच वर्ष तक अध्यक्ष रहे । दि. जैन खण्डेला विकास समिति के सदस्य, दि. जैन महासभा के सदस्य हैं। दि. जैन आचार्य धर्मसागर संस्कृत विद्यापीठ लूणवां के मंत्री हैं। सीकर देवीपुरा में आयोजित पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के महामंत्री रहे साथ ही में सौधर्म इन्द्र के पद से भी अलंकृत हुये । इसी तरह और भी संस्थाओं से आप जुड़े हुये हैं। एक बार आप जैन रत्न की उपाधि से भी सम्मानित किये जा चुके हैं। पता:- मैसर्स हरकचन्द महावीर प्रसाद जैन, बी-12, नयी अनाज मंडी, सीकर (राजस्थान) श्री रतनलाल छाबड़ा कुचामन सिटी के वयोवृद्ध समाजसेवी श्री रतनलाल छाबड़ा विशाल व्यक्तित्व के धनी हैं। आपका जन्म कार्तिक सुदी पूर्णिमा संवत् 1974 में हुआ। आपके पिताजी श्री बालाबक्स जी का 34 वर्ष पूर्व स्वर्गवास हुआ। वे साहजी गोरधनराय जी काबरा के प्रधान सलाहकार थे । संवत् 1991 में मैट्रिक करने के पश्चात् आपका विवाह बादामीदेवी सुपुत्री गोविन्दलाल जी गोधा कुचामन के साथ संपन्न हुआ। आपको दो पुत्र मुकेश एवं सुरेश तथा एक पुत्री शिमला के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । मुकेश कुमार सी.ए. हैं तथा अशोक बिडला के यहां कार्यरत हैं। सुरेश कुमार ब्रोकर एवं कमीशन एजेन्ट हैं। पुत्रो शिमला का विवाह नागौर के रामदेव रामनाथ के पौत्र राजकुमार चांदवाड़ के साथ हो चुका है । वर्तमान में आप सेवाभावी जीवन व्यतीत कर रहे हैं। आपने कुचामन पंचकल्याणक में हवाई जहाज से पुष्प वर्षा की थी। बंबई में खार में निजी चैत्यालय है जो जुह रोड पर स्थित है। लूणवां धर्मशाला में एक कमरा हस्तिनापुर क्षेत्र पर एक कमरा एवं सोनागिर में एक कमरे का निर्माण करा चुके हैं। कुचामन में आपके द्वारा निर्मित बालाबक्श धर्मशाला में सार्वजनिक विद्यालय चल रहा है। नागौरी नशियां कुचामन में एक कमरे का निर्माण करवाया हैं । आप घाटका अडकसर, राणी, देवली एवं कुचामन के कामदार रह चुके हैं। ठिकाने की ओर से इंडिया पावर आफ अटोर्नी 250 वर्षों तक आपके पूर्वजों के नाम रही। आपके तीन भाई और हैं। सबसे बड़े भाई घासीलाल जी थे जिनका निधन हो चुका है। उनके एक पुत्र एवं एक पुत्री है। दूसरे भाई अमृतलाल जी हैं। दो पुत्र एवं चार पुत्रियाँ हैं। आपसे छोटे चांदमल जी हैं। पता: कुचामन सिटी ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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