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________________ राजस्थान प्रदेश का जैन समाज / 391 के नाम से व्यावसायिक प्रतिष्ठान स्थापित किया । इसके पश्चात् सन् 1965 में राजस्थान इन्ड एण्ड केमिकल कारपोरेशन के नाम से एक और प्रतिष्ठान की स्थापना की और इसके बाद तो आपको व्यावसायिक क्षेत्र में सफलता पर सफलता मिलती गई। पालीवाल जी का राजनैतिक जीवन से भी सामाजिक एवं धार्मिक जीवन और भी उज्जवल पक्ष है। आप कट्टर मुनिभक्त हैं और आ. शांतिसागर जी महाराज से लेकर वर्तमान आचार्यों एवं मुनिराजों के आप भक्त हैं। प्रतिवर्ष उनके दर्शनार्थ जाते रहते हैं। आहार देकर पुण्य लाभ कमाते हैं। उनके चातुर्मास में सहयोग देते हैं। आचार्य विमल सागर जी महाराज के संघ के दो मुनिराजों का केशलोंच कोटा में आपने अपने कम्पाउण्ड में कराया था। विधान कराने की भी आप में खूब रुचि है। इन्दौर में, कोटा में अपने निवास स्थान पर इन्द्रध्वज विधान करा चुके हैं। अधिकांश पंच कल्याणक प्रतिष्टा मसाने में भाग लेते रहते हैं अबम्बई वीर जी, गोम्मटगिरी, इन्दौर, सरबाड, केशोरायपाटन में आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव में इन्द्र बन चुके हैं। आपने बम्बई थाना में नये मंदिर की स्थापना कराई। चांदखेडी अ. क्षेत्र पर समोसरण में प्रतिमा विराजमान की । हाडौती के कितने ही मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया है। यात्रा प्रेमी हैं और तीर्थों की वंदना करते ही रहते हैं। विदेश यात्रा भी कितनी ही बार कर चुके हैं। बनाडा लेस्टर में आयोजित पंच कल्यानक में आप सम्मिलित हो चुके हैं। पालीवाल जी अ.भा. दि. जैन महासभा की कार्यकारिणी के सदस्य हैं। कोटा एवं देश की अनेक संस्थानों से आप जुड़े हैं। अन्तर्राष्ट्रीय शांति परिसर के सदस्य हैं। जैन इतिहास प्रकाशन संस्थान परम संरक्षक हैं। पारसोला पंचकल्याणक समारोह में आपको समाज भूषण की उपाधि से अलंकृत किया गया था। गंगराणा में आपने धर्मशाला बनवाकर गांव वालों को भेंट कर दी। परिवार - आपकी धर्मपत्नी श्रीमती चन्दादेवी ने सन् 1975 में दशलक्षण व्रत के उपवास किये थे। आप दोनों पति पत्नी शुद्ध खानपान का नियम हैं। आपके तीन पुत्र एवं चार पुत्रियाँ हैं । के I- ज्येष्ठ पुत्र श्री सुभाषचंद का जन्म 8 जनवरी 54 को हुआ था। बी.ए. है। धर्मपत्नी का नाम उमा है वह भी बी. ए. है । एक पुत्र एवं तीन पुत्रियों के पिता हैं। 2. द्वितीय पुत्र अरुण कुमार है। 28 फरवरी 1958 को जन्म हुआ। आपने बी. कॉम. किया है। आपकी धर्मपत्नी अनुपमा दो पुत्रियों की जननी है। 3- सबसे छोटा पुत्र विजयसिंह का जन्म 19 दिसम्बर 60 को हुआ। एम.एससी. है। आई. आई. टी. नागपुर से किया है। विवाह हो चुका है। पत्नी का नाम मीना है। वह भी बी.एससी. है। एक पुत्र की मां है। पालीवाल जी के चार पुत्रियाँ है शान्ता, पुष्पा, उर्मिला व निर्मला हैं। सबका विवाह हो चुका है। इसके अलावा निमाज के मन्दिर का जिर्णोद्धार करवाया। पाली के मन्दिरों का भी जिर्णोद्धार करवाया व दिगम्बर जैन धर्मशाला में एक कमरा बनवाया। अकलंक विद्यालय में एक बरामदा बनवाया। श्री महावीर जी शान्तीवीर नगर गुरुकुल में एक कमरा बनवाया । सुसनेर जिला शाहजापुर (मध्यप्रदेश) में वेदी बनवाई व स्कूल के निर्माण में व गुरुकुल के निर्माण में काफी योगदान दिया व चांदखेड़ी अति क्षेत्र में एक अतिथिगृह का निर्माण करवाया इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक व तमिलनाडु व मध्यप्रदेश के कई अतिशय क्षेत्रों में जीर्णोद्धार में काफी योगदान दिया ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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