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________________ 392/ जैन समाज का वृहद् इतिहास वे कई जगहों पर पंचकल्याणक व इन्दध्वज एवं कल्पद्रुम विधान, बावनगजा इन्दौर में इन्द्र बने एवम् चक्रवती बने । कोटा के नये बनने वाले मन्दिरों में ध्वज कलश एवम् निर्माण में योगदान दिया। कोटा जिले के श्री चाँदखेडी एवम् केशोरायपाटन में मन्दिरों अतिशय क्षेत्रों के सरंक्षक हैं। कोटा में इन्द्रध्वज विधान, तीन लोक विधान की नई रचनाऐं मुनि श्री 108 की श्रुतसागर से लिखवाई। छावनी में चातुर्मास करवाकर छावनी में विधान करवाया व इन्द्रध्वज विधान की पुस्तक प्रकाशित करवाई । छावनी के दिगम्बर जैन मन्दिर का निर्माण करवाया व वेदी बनवाई। पालीवाल कम्पाउन्ड के सामने नवनिर्मित मन्दिर में भी पार्श्वनाथ की मूलनायक प्रतिमा विराजमान की और तलवण्डी के मन्दिर पर कलश चढ़ाया व विधान नगर के मन्दिर का फाउन्डेशन रखा। मुनि महाराजों के करीब-करीब सारे संघों का कोटा छावनी में पालीवाल कम्पाउन्ड में शुभागमन हुआ और जितने साधु आये उनका चौका रखा और चौके की व्यवस्था की व दिल्ली हस्तिनापुर आगरा मेनपुरी अयोध्या श्री महावीर जी के बड़े-बड़े कार्यक्रम में पहुंचते रहे और उदयपुर जिले में मुनि महाराजों के साधुओं के चतुरमास पर बराबर जाते रहे व आध्यात्मिक शिविरों में जाते रहे । 1985 से धार्मिक कार्य समर्पित भावनाओं से करते रहे। श्री मदनलाल चांदवाड़ चांदवाड़ गोत्रीय श्रेष्ठि श्री मदनलाल जी राजस्थान में एक सामाजिक हस्ती हैं जिन्होंने समाज की विभिन्न गतिविधियों में अपना योगदान दिया है। वे अनेक वर्षों से दि. जैन महासभा की राज. इकाई के अध्यक्ष हैं। इसी तरह 15-20 वर्षों से शांति वीर नगर श्री महावीर जी के मंत्री का कार्य कर रहे हैं। चांदखेड़ी क्षेत्र की कार्यकारिणी सदस्य हैं तथा रामगंज मंडी व्यापार संघ के गत 20 वर्षों से अध्यक्ष हैं | चांदवाड जी का जन्म सावण सुदी 6 संवत् 1983 को हुआ। आपके पिता श्री धनसुखलाल जी का 65 वर्ष की अवस्था में स्वर्गवास हुआ था। आपकी माताजी श्रीमती गोपीबाई का 85 वर्ष की आयु में अभी 9 वर्ष पहिले ही निधन हुआ है। आप मैट्रिक में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुये फिर साहित्यरत्न किया और व्यापार की ओर मुड़ गये। संवत् 2001 में आपका फूलबाई के श्री साथ विवाह हुआ जिनसे आपको तीन पुत्र एवं तीन पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपके ज्येष्ठ पुत्र : कमलकुमार जी बी काम हैं। एक पुत्र के पिता हैं। द्वितीय पुत्र प्रभाचंद जी एम. एस.सी., एल.एल.बी. हैं। आपकी पत्नी का नाम मधु है जो श्री त्रिलोकचंद जी कोठारी की पुत्री है। बी.ए. हैं। 2 पुत्रियों एवं एक पुत्र की जननी है। तृत्तीय पुत्र श्री नरेश कुमार बी.काम. एल. एल. बी. है। पत्नी का नाम रजनी है । आपकी तीनों पुत्रियां उर्मिला, प्रभा, सरिता बी.ए. है तथा सभी का विवाह हो चुका है। आपकी धार्मिक मनोवृत्ति रहती है । हस्तिनापुर एवं रामगंज मंडी के पंचकल्याणक में इन्द्र के पद से सुशोभित हो चुके हैं। शांति वीर नगर में वेदी बनवाकर प्रतिमा विराजमान की। वैसे प्रतिमायें तो आप विराजमान कराते हो रहते हैं। आर्यिका ज्ञानमती माताजी के इन्द्रध्वज विधान को आप प्रकाशित करा चुके हैं। पक्के मुनिभक्त हैं। मुनिराजों को आहर देने में पूरी रुचि है । पता:- बाजार न. 1, रामगंज मंडी, कोटा
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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