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________________ 390/ जैन समाज का वृहद् इतिहास को सरवाड से चांदखेडी तक आचार्य देशभूषण जी को चांदखेडी से जयपुर तक एवं आचार्य विमल सागर जी महाराज के संघ को बिहार में सहयोग देकर अपनी मुनि भक्ति का परिनय दिया है ! आपकी धर्मपत्नी श्रीमती लाइदेदी कोलारी आपसे भी अधिक मुनिराजों की सेवा में रहती हैं, आहार देती हैं। कोठारी जी ने अब तक कितने ही विधान कराये हैं । आचार्य विमल सागर जी के सानिध्य में तीन मूर्ति बंबई में इन्द्रध्वज विधान कराया,तथा जयपुरखानिया में चौसठ ऋद्धि विधान कराया। यही नहीं अब तक कोटा,महावीर जी, शिखर जी,चांदखेडी, राजगृही आदि कितने ही तीर्थों में इन्द्रध्वज विधान एवं सिद्ध चक्र विधान करा चुके हैं। अपने प्राम दूनी में सिद्धचक्र विधान के पश्चात् रथयात्रा निकलवाई तथा पांच दुकानें, धर्मशाला एवं नोहरा बनवाकर मंदिर को भेंट कर दिया । कोटा की नशियों का पूरा जीर्णोद्धार करवाया। श्री कोठारी जी पूरे जैन समाज के लोकप्रिय नेता हैं । समाज को अभी उनसे बहुत आशा है । आशा है वे पूरी होंगी। पता: कोठारी निवास, धान मंडी,कोटा श्री पाणकचंद पालीवाल राजनैतिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में समान रूप से लोकप्रिय एवं विशाल व्यक्तित्व के धनी श्री माणकचंद जी पालीवाल समस्त राजस्थान में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं । पालीवाल जी खण्डेलवाल दि.जैन समाज के सदस्य हैं । ठोलिया उनका गोत्र है । लेकिन पाली से आने के कारण आपको पालीवाल कहते हैं और इसी उपनाम से वे सर्वत्र प्रसिद्ध हैं। पालीवाल जी का जन्म 11 सितम्बर 1920 में नीमाज में हुआ। आपके पिता श्री फूलचंद जी ठोलिया नीमाज में बहुत प्रतिष्ठित एवं अच्छे व्यवसायी थे जिनका स्वर्गवास सन् 1981 में 85 वर्ष की आयु में हुआ था । पालीवाल जी की माता का नाम जपुनी बाई था । वह सीधी सादी एवं धार्मिक प्रवृत्ति वाली महिला थी । उनका स्वर्गवास भी 82 वर्ष की आयु में सन् 1974 में हुआ । आपके माता-पिता दोनों आचार्य शांति सागर जी महाराज के पक्के भक्त थे। __ पालीवाल जी ने नीमाज के स्कूल से मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त की तथा राजनैतिक क्षेत्र में कार्य करने लगे 13 वर्ष की • आयु में ही आपका श्रीमती चांददेवी के साथ विवाह हो गया। इसके पश्चात् आप सर्विस के लिये मद्रास चले गये तथा वहां सत्यमूर्ति जैसे नेता के संपर्क में आने का अवसर मिला । सन् 1941 में आप सदासुख मनसुखराय की जूरी के पार्टनर बन गये और इंडो वर्मा सीमा पार आजाद हिन्द फौज को सामान सप्लाई करने का कार्य करने लगे। लेकिन सन् 1942 में इम्फाल का पतन होने के पश्चात् आपको फिर वहां से देश में आना पड़ा। पाली में आने के पश्चात् पालीवाल जी लोक परिषद जोधपुर के क्रियाशील सदस्य बन गये । इससे आपको जयनारायण व्यास,रणछोड लाल,मथुरादास माथुर जैसे नेताओं के संपर्क में आने का अवसर मिला । सन् 1947 के पूर्व आप महात्मा गांधी एवं विनोबा भावे के संपर्क में आये । राजनैतिक क्षेत्र में गतिशील रहने के पश्चात् आपका ध्यान व्यवसाय की ओर गया और सन् 1952 में आपने एस.एन.पालीवाल ग्रुप के नाम से व्यवसाय प्रारंभ किया । सन् 1956 में कोटा छावनी में सुभाष इन्ड.कारपोरेशन
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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