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________________ 386 / जैन समाज का वृहद् इतिहास 1548 का जीवराज पापड़ीवाल का लेख अंकित है। वर्तमान के गांवों, उनके मंदिरों की संख्या तथा वहां रहने वाले जैन परिवारों की संख्या निम्न प्रकार है लेकिन इन गांवों के अधिकांश परिवार शहरों में आकर रहने लगे हैं गांव उजड़ रहे हैं और वहां मन्दिरों की भी शोचनीय स्थिति हो गई है। बूंदी तहसील में दि. जैन बघेरवाल समाज अच्छी संख्या में मिलता है। लेकिन बूंदी शहर में खण्डेलवालों के 100 घर, बघेरवालों के 60 घर, श्रीभालों के 20 घर एवं अमवालों के 10 घर हैं। यहाँ मंदिर एवं चैत्यालयों की संख्या 13 है। बूंदी तहसील के 26 गांवों में 28 मंदिर हैं। | तहसील हिण्डोली तहसील हिण्डोली में 16 गांवों में दिगम्बर जैन घर मिलते हैं उनमें अलोद, बड़ा नया गांव, हिण्डोली एवं गोठडा में जैनों की संख्या अच्छी है तथा शेष गांवों में नाममात्र के घर हैं लेकिन सभी गांवों में दिगम्बर जैन मंदिर हैं। 16 गांवों में कुल 18 मंदिर हँ t दबलाना ग्राम के मंदिर में स्थित शास्त्र भंडार अत्यधिक महत्वपूर्ण शास्त्र भंडार है जिसमें 400 से अधिक पाण्डुलिपियां संपति हैं। यहां के शास्त्र भंडार को लेखक ने पं. अनूपचन्द जी के साथ देखा था तथा ग्रंथों की सूची भी तैयार की थी जो राजस्थान के जैन शास्त्र भंडारों की ग्रंथ सूची पंचम भाग में प्रकाशित हो चुकी है। यहां के शास्त्र भंडार में काव्य, चरित्र, कथा, रास, व्याकरण, आयुर्वेद एवं ज्योतिष विषयक ग्रंथों का अच्छा संग्रह मिलता है। यहां के शास्त्र भंडार में नैणवां, इन्दरगढ़, गोठडा, जयपुर, जोधपुर एवं सागवाड़ा में लिपि किये हुये ग्रंथों के दर्शन होते हैं जो इस गांव के जैन समाज के साहित्यिक प्रेम का द्योतक है। बूंदी में रचित साह लोहट के यशोधर चरित की पाण्डुलिपि भी यहाँ मिलती है। सबसे प्राचीन पाण्डुलिपि षडावश्यक बालावबोध की है जिसकी प्रतिलिपि संवत 1521 में उज्जयिनी में हुई थी। सिंहासन बत्तीसी संवत् 1611 एवं माधवानल काम कंदला चौपाई (संवत् 1714) की पाण्डुलिपियां भी उल्लेखनीय हैं। केशोरायपाटन तहसील बूंदी जिले की केशोरायपाटन भी एक तहसील है। तहसील के अन्तर्गत 15 गाँवों एवं कस्बों में जैन बस्ती है जिनमें लाखेरी एवं कापरेन में अच्छी बस्ती है। लाखेरी वैसे सीमेन्ट उद्योग के लिये प्रसिद्ध है। पुरातत्व एवं प्राचीनता की दृष्टि से केशोरायपाटन के पश्चात् गैंडोली का मल्लाहसाह का दिगम्बर जैन मंदिर प्राचीन मंदिर है जो अपने पुराने वैभव की याद दिलाता है । मंदिर में पाषाण पर तीन चौबीसी की मूर्तियां दर्शन करने योग्य हैं जिनको मल्लाहसाह ने कितनी श्रद्धा के साथ प्रतिष्ठापित किया था। मंदिर की छत पर चार कोनों पर चार छतरियां है। मंदिर के पीछे हरा भरा पहाड़ है जो प्राकृतिक सुरम्यता को प्रस्तुत करता है । यहाँ एक मंदिर और है जो अब खंडहर बना हुआ है। यहाँ के निवासियों के अनुसार यह मंदिर दो हजार वर्ष पुराना है । इस तहसील के 15 गाँवों एवं कस्बों में कुल 19 मंदिर हैं । झालावाड़ जिला झालावाड : संवत् 1853 में महाराजा झालासिंह द्वारा बसाया गया झालावाड झालरापाटन का ही एक भाग है जिसमें अधिकांश परिवार झालरापाटन से ही शनै-शनै जाकर बस गये। झालावाड़ वर्तमान में जिला मुख्यालय हैं तथा उन सभी सुविधाओं से युक्त है जो स्टेट की राजधानी एवं वर्तमान में जिला मुख्यालय को मिलती है। यहाँ जैन समाज के निम्न प्रकार
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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