SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 400
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /385 दिगम्बर जैन मंदिर संधियों में भी 12 वीं-13वीं शताब्दी की प्रतिमाओं के दर्शन किये जा सकते हैं। भगवान अनन्तनाथ स्वामी की एक पद्मासन प्रतिमा पर संवत 1147......अमृतनाथ" का लेख अंकित है। इसी तरह एक दूसरी वेदी में संवत् 12072 में प्रतिष्ठापित श्याम पााण की पद्मासन मूर्ति के दर्शन किये जा सकते हैं। संघियों का मंदिर नैणवां नगर का प्राचीनतम् मंदिर है । निज मंदिर के प्रवेश द्वार पर बहुत से सुन्दर एवं कलापूर्ण भाव अंकित हैं। मंदिर के अन्दर संवत् 1109 का लेख अंकित है जिससे यह प्रतीत होता है कि इस मंदिर का निर्माण इसी संवत् में हुआ था। नैणवां के श्मशान के पास जो निषेधिकायें मिलती हैं उनमें पुरातत्व एवं इतिहास की महत्त्वपूर्ण सामग्री उपलब्ध होती है। इन निषेधिकाओं का निर्माण 11 वीं शताब्दी से 16 वीं शताब्दी तक होता रहा है। खुले आकाश में वर्षा, धूप से पीड़ित एवं असामाजिक तत्वों द्वारा खंडित ये निषेधिकायें अपने पुराने वैभव एवं नैणवां के सांस्कृतिक जागृति की प्रतीक है। नगर के शेष दिगम्बर जैन मंदिरों के नाम निम्न प्रकार हैं: 1- श्री दिगम्बर जैन मंदिर बघेरवालों का 2- श्री दिगम्बर जैन मंदिर सवाई रामजी का 3- श्री दिगम्बर जैन मंदिर अग्रवालों का 4. श्री दिगम्बर जैन मंदिर पार्श्वनाथ चैत्यालय 5-श्री दिगम्बर जैन मंदिर मल्लासाहजी (तेरहपंथियों का) 6- श्री दिगम्बर जैन मंदिर चन्द्रप्रभु स्वामी (नशियां) इन मंदिरों में बघेरवालों के मंदिर में संवत् 1145 तक की प्रतिमाओं के दर्शन होते हैं। मुख्य वेदी में भगवान शांतिनाश्च की संवत् 1202 में प्रतिष्ठित मूर्ति है जो आचार्य श्री सगरसेन से धर्कट जाति के वाणिक महिंद सुत जान्हा द्वारा विराजमान कराई थी। इसी मंदिर के तिबारे में व नौचोकी वेदी में एक प्रतिमा संवत् 12009 में प्रतिष्ठित हुई थी। भगवान महावीर की संवत् 1228 में प्रतिष्ठित प्रतिमा भी मनोहारी है। नैणवां नगर प्रारंभ से ही धर्मप्राण नगर रहा है । वर्तमान में आचार्य सूर्यसागर जी महाराज के शिष्य स्व. मुनि जयसागर जी महाराज भी इसी नगर में पैदा हुये थे। तहसील बूंदी बूंदी तहसील में 26 गांवों में जैन परिवार मिलते हैं तथा वहां मंदिर भी बने हुये हैं। तहसील में तालेड़ा,नोताड़ा,डाबी, सीलोर एवं देवपुरा में 10 से अधिक जैन घर हैं । सीलोर एवं तालेड़ा में दो-दो मंदिर है शेष सभी गांवों में एक-एक मंदिर है | खटकड़ में प्राचीन मंदिर हैं । एक वेदी में 3 प्रतिमायें विराजमान हैं । भगवान पार्श्वनाथ की मूलनायक प्रतिमा है जिस पर संवत्
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy