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374/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
आपकी पत्नी का नाम श्रीमती सूरजदेवी है। जिनसे आपको दो पुत्र सुभाष एवं राकेश तथा एक पुत्री ममता की प्राप्ति हो चुकी है। आपके तीन भाई श्री मोतीलाल, चेतनकुमार एवं प्रकाशचंद और हैं।
पापड़ीवाल जी समाज से कुरीतियों के उन्मूलन का विशेष प्रयास करते रहते हैं। सबको सहयोग देने वाले सुत्रक हैं । पता : ग्राम नासिरदा तहसील देवली (टक)
श्री रतनलाल बड़जात्या बिलासपुरिया
बिलासपुरिया उपनाम से प्रसिद्ध श्री रतनलाल जी बड़जात्या का जन्म भादवा सुदी 8 संवत् 1982 को हुआ। आपके पिताजी श्री भंवरलाल जी का 47 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हो गया था तथा माताजी श्रीमती चाहूबाई का सन् 1981 में निधन हो गया। आप अधिक शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके और छोटी आयु में ही लेन-देन तथा तेल मिल का कार्य देखने लगे 19 वर्ष की आयु में ही आपका विवाह हो गया। आपकी पत्नी दाखा बाई ने तीन पुत्र एवं तीन पुत्रियों को जन्म दिया । पुत्रों में श्री राजेन्द्र कुमार 465 वर्ष के हैं। तेल मिल का कार्य संभालते हैं। दूसरे पुत्र रवीन्द्र कुमार बी.ए. एल.एल.बो. हैं | इन्कम टैक्स के वकोल हैं। दोनों भाईयों का विवाह हो चुका है। तीसरे पुत्र श्री महेश कुमार ने एम.कॉम. कर लिया है तथा मोटर पार्ट्स का कार्य देखते हैं।
आपकी तीन पुत्रियों में से सुश्री चन्द्रा एवं इंदिरा का विवाह हो चुका है। मंजू बी.ए. में पढ़ रही हैं। सन् 1980 में आपकी पत्नी श्रीमती दाखा बाई का कैंसर से दुःखद निधन हो गया।
श्री रतनलाल जी श्री चन्द्रप्रभु दि. जैन ट्रस्ट तेरापंथ समाज के पांच वर्ष तक अध्यक्ष रह चुके है। समाज के सभी कार्यों में आगे रहते हैं तथा समर्पण की भावना से कार्य करते हैं। प्रमुख तीर्थों की यात्रा कर चुके हैं।
पता - शबील साह की चौकी के सामने बड़ा कुआ, टॉक
श्री रतनलाल सोगानी
पचेवर के सौगानी परिवार में पौष शुक्ला 11 सं. 1982 को जन्मे श्री रतनलाल जी का जैन समाज में विशिष्ट स्थान है। आपके पिताजी श्री सुवालाल जी सप्तम प्रतिमा के धारी थे। उन्होंने यह व्रत आचार्य ज्ञान सागरजी महाराज से लिया था। आपका देहावसान माघ शुक्ला 5 संवत् 2036 को रात्रि के समय पंच परमेष्ठी का स्मरण करते हुये समाधिमरण पूर्वक हुआ था। आपके पांच पुत्र हैं। रतनलाल जी सबसे बड़े हैं। मोहनलाल जी, शांतिकुमार जी, चेतनकुमार जी एवं टीकमचंद जी व्यापार एवं राजकीय सेवा में है।
श्रीमती ऐजन देवी माता जी रतनलाल जी सोगानी
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श्री रतनलाल जी ने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की। आपका विवाह सुवाबाई के साथ संपन हुआ। आपको चार पुत्र सर्व श्री हेमन्तकुमार, राजकुमार, राजेश कुमार एवं अनिल कुमार तथा 4 पुत्रियाँ प्रेमबाई, स्नेहलता, मंजूलता एवं मैनाबाई के पिता होने का गौरव प्राप्त है। हेमन्त कुमार