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________________ राजस्थान प्रदेश का जैन समाब/363 आपके बड़े भाई मोहनलाल जी ने वीर सागर जी महाराज से संवत् 2014 में मुनिदीक्षा ग्रहण की । आपका नाम सन्मति मागर रखा गया । आपका समाधिमरण संवत् 2038 मंगसिर बुदी 14 को उदयपुर में हो गया । आपने अशोक नगर की नशियां में कमरे का निर्माण मुनिश्री सन्मति सागर बी की स्मृति में करवाया था। छाबड़ा जी स्वाध्यायशील हैं । प्रतिदिन मंदिर में शास्त्र प्रवचन करते हैं | श्री दि.जैन नेमिनाथ स्वामी (रेणका) के प्रमुख सदस्य हैं । तीर्थ यात्रा प्रेमी हैं । सभी तीर्थों की वंदना कर ली है। पता : श्री कन्हैयालाल छाबड़ा,टोडारायसिंह । श्री कपूरचंद संघी लुहाड़िया भयंकर' दिखने में साधु स्वभाव के श्री कपूरचंद जी संघा भयंकर उपनाम से प्रसिद्ध है 1 नवाई समाज के आप बहुत ही निष्ठावान कार्यकर्ता हैं । वर्तमान में आप 58 वर्ष को पार करने वाले हैं । सन् 1950 में आपने मैट्रिक पास किया तथा व्यापार की ओर मुड गये । आपके पिताश्री कस्तूरचंद जी संधी वयोवृद्ध सज्जन हैं । श्री चिरंजीलाल जी आपके बड़े भाई एवं तासचंद जी आपसे छोटे श्री लुहाडिया जो उत्साही समाजसेवी हैं। धार्मिक विचारों से ओतप्रोत हैं । मुनिभक्त है। 25 वर्षों से ब्लाक कांग्रेस कमेटी के महामंत्री है। पता : श्री कपूरचंद संघी मयंकर",मु.पो.निवाई (टोंक) श्री कपूरचंद जैन एडवोकेट (छाबड़ा) श्री कपूरचंद जी का जन्म दि.3-6-1936 में हुआ । इनके पिता का नाम श्री गैंदीलाल । जी एवं माताजी का नाम श्रीमती मोहनी बाई था। दोनों का स्वर्गवास हो चुका है। ये बी.ए. एल.एल.ली. हैं जो जोधपुर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है। इनके पिता के खास बड़े भाई यानि की इनके दादा श्री मोहनलाल जी जैन ने भाद्रपद शुक्ला 3 सं. 2014 में मुनि दीक्षा जयपुर में ख़ानिया में श्री 108 वीर सागर जी महाराज से महण की । आपका नामकरण श्री 108 सन्मति सागर जी महाराज के नाम से हुआ था। इसके पूर्व आपकी क्षुल्लक दीक्षा टोडारायसिंह में सन् 1954 में श्री 108 वीर सागर जी महाराज द्वारा ही हुई थी। महाराज श्री प्राकृत,उर्दू, अरबी,संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी भाषाओं के प्रकाण्ड विद्वान रहे हैं। 12 वर्ष तक आपने मध्यप्रदेश में विहार किया । अनेक गांवों में विहार करके आपने पूरे गांव वालों को शराव, रात्रि भोजन, मांस भक्षण न करने के संकल्प करवाये । आपका ध्यान सदैव बच्चों को धार्मिक शिक्षा की ओर विशेष था | अतः आपने टोडारायसिंह,मालपुरा व अन्य अनेक स्थानों पर जहां पर भी आपने चातुर्मास किया धार्मिक स्कूल,आवास खुलवाये । आप प्रखर वक्ता,तत्त्वज्ञानी व मृदुभाषी रहे हैं । आपका समाधिमरण उदयपुर शहर में दि.25-11-1981 को पूरे धार्मिक क्रिया के साथ हुआ । आपका जन्म पौष शुक्लापंचमी विक्रम सं.1964 को टोडारायसिंह में हुआ था।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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