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________________ 364 जैन समाज का वृहद इतिहाग उपलब्धियां : श्री कपूरचंद जैन एडवोकेट का सारा जीवन कड़ी मेहनत, पक्की निष्ठा व सादगीपूर्ण रहा है। पितामह की जल्दी मृत्यु हो जाने के कारण जीवन के उत्तरदायित्व को पूरी तरह संभालना पड़ा ! अत: आपने मैट्रिक की परीक्षा के बाद इन्टर यू.पो.बोर्ड सं व बी.ए. की परीक्षा भागलपुर विश्वविद्यालय से सर्विस करते हुये प्राइवेट परीक्षार्थों के रूप में दी। आपने एल.एल.बो. की परीक्षा भी नगर परिषद जोधपुर में सर्विस करते हुये जोधपुर विश्वविद्यालय में गत्रि कालोन शिक्षा अध्ययन कर प्रथम श्रेणी में। उरोर्ण को । इसके बाद 1917 मे आप मालपुरा में साल वक्रोल के रूप में वकालत कर रहे है । आश्का सारा परिवार धार्मिक परम्पराओं से परिपूर्ण हैं। बचपन से हो आपको दादा स्व. श्री 108 सन्मार मागर जी महाराज के सानिध्य में रहने का मौक “मन्नः । अतः प्रारंभ से ही आपके जीवन में भी धार्मिक संस्कार उत्कीर्ण हो गये। आप व आपका परिवार टोडारायमिह का निवासी है। आपने टोडारायसिंह के अध्यक्ष पद पर रहकर भी सराहनीय कार्य किया है। आप बार एसोसियेशन मालपुरा के 1971-77 में अध्यक्ष रहे हैं। सैन्ट्रल कोआपरेटिव बैंक टौंक के अनेक वर्षों तक संचालक मंडल के सदस्य रहे हैं । टोडारायसिंह खादी समिति के आप फाउण्डर सत्य है। गत : नो से आप गला लागस कलन के अध्यक्ष पद रहते हुये मानवीय मेवाओं में सराहनीय कार्य किया है। आप इस क्लब के सन 1987-४५ में भी अध्यक्ष पद पर सर्वसम्मति से चुने गये। बोडारायसिंह की जैन पाठशाला को ठीक तरह संचालित करने में आपका पूग योगदान रहता है : आपने अपने पितामह व स्व. मान जी की रमृति में धार्मिक पुस्तक श्रावक सुमन संचय का प्रकाशन करवाया है जिसका सम्पादन आर्थिका 105 विशुद्ध नागाजी ने किया है। आप अपन क्षेत्र की हर सामाजिक, राष्ट्रीय गतिविधियो से पूरी तरह जुड़े हुये हैं ! पन' • कमानायग, पोस्ट आफिस के सामने नालपुरा (क) श्री कुन्तीलाल कटारिया राज के प्रसिद्ध कटारिया परिवार में जन्में श्री कुन्तीलाल कटारिया को निवाई जैन समाज में विशिष्ट स्थान प्राप्त है । आप निवाई जैन समाज के अध्यक्ष रह चुके हैं। आपके पिलाजी श्री गुल्नायबंद जी एवं मानाजी भूरीबाई दोनों का स्वर्गवास हो चुका है । 65 वर्षीय श्री कुन्नीलाल जी को दो पुत्र अशोक एवं सुशील तथा दो पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त आ है । आप स्वास्तिक आइल इन्डस्ट्रीज निवाई के प्रोप्राइटर हैं । निवाई के प्रमुख व्यवसायी माने जाते है । धार्षिक प्रवृत्ति है। पता - स्वाग्दिरक, आइन इन्डस्ट्रीज (निराई) टोंक श्री चांदमल सौगानी स्व.श्री घासीलाल जी सौगानी के सुपुत्र श्री चांदमल मौगानी का जन्म संवत् 1977 में हुआ । गिडिल कक्षा तक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् आप अपने पिताजी के साथ चांदी सोने का व्यवसाय करने लगे। सन् 1942 में आपका विवाह श्रीमती अनोखी बाई के साथ संपत्र हो गया। आपको चार पुत्रों के पिता होने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है। ज्येष्ठ पुत्र श्री धनराज
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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