SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 20/जैन समाज का वृहद् इतिहास 6. 6 मई सन् 1910 को विद्वत्वर सज्जन शिरोमणि सदिवद्यावर्धक, सौम्यमूर्ति, धर्म धुरन्धर, सरिश्तेदार दीवानी श्री भोलेलाल जी सेठी जयपुर का निधन हो गया। ये जयपुरं जैन समाज के सर्वाधिक लोकप्रिय व्यक्ति थे। 7. दिगम्बर जैन महासभा के ये अध्यक्ष एवं जैन समाज के मूर्धन्य नेता थे। समाज की हर तरह से सेवा करते थे। दिनांक 15 नवम्बर, सन् 1911 को आकस्मिक निधन हो जाने के कारण समाज की गहरी क्षति हो गई। उक्त महानुभावों के निधन के पश्चात् सन् 1930 तक समाज का नेतृत्व सेठ माणकवन्द हीरानन्द जे.पी. बम्बई, बा. जुगमन्दिर दास जी रईस नजीबाबाद, बा. स्थचन्द जी रईस जमींदार - सहारनपुर, लाला सुल्तानसिंह जी बैंकर म्यूनिसिपल कमिश्नर - देहली, रायबहादुर सेठ नेमीचन्द जी सोनी - अजमेर, अर्जुनलाल जी सेठी - जयपुर, पं. गोपालदास जी बरैय्या, सेठ चम्पालाल जी - ब्यावर, सेठ हुकमचन्द जी - इन्दौर, सेठ बंशीलाल जी ठोलिया - जयपुर, रायबहादुर सेठ कल्याणमल जी - इन्दौर, रायबहादुर लाला घमण्डीलाल जी - मुजफ्फर नगर, रायसाहिब ईश्वर प्रसाद जी खजांची - देहली, लाला जम्बूप्रसाद जी रईस - सहारनपुर, रायबहादुर सेठ लक्ष्मीचन्द जी डेरागोजी खाँ, रायसाहिब मोती सागर जी वकील - देहली, पं. श्रीलाल जी शास्त्री - अलीगढ़, खूबचन्द जी शास्त्री - मुरैना, पे, पन्नालाल जी न्यायदिवाकर - सहारनपुर, पं. लक्ष्मीचन्द जी सागर, पं. गणेश प्रसाद जी न्यायाचार्य - सागर, 4. माणिकचन्द जी न्यायाचार्य - मुरैना, पं. जवाहरलाल जी शास्त्री - जयपुर, प. धन्नालाल जी कासलीवाल - बम्बई, पं. सूरजभान जी वकील - सहारनपुर, द्र. शीतलप्रसाद जी, पं. चिमनलाल जी गोधा - जयपुर, 4. पन्नालाल जी बाकलीवाल - जयपुर के हाथों में आया और उन्होंने समाज की सभी तरह से सेवा की। सन् 1930 से 1950 तक: सन् 1930 के पश्वात् समाज में एकदम परिवर्तन आया। यह आचार्य शान्तिसागर जी महाराज (दक्षिण) तथा आचार्य शान्तिसागर जी महाराज (छाणी) वालों का युग था। समाज की बागडोर में इन दोनों आचार्यों एवं उनके संघ के मुनियों का हस्तक्षेप होने लगा था तथा समाज की गतिविधियों के प्रमुख केन्द्र साधुगण बनने लगे थे। ये 20 वर्ष जातीय महासमाओं की स्थापना एवं उनके स्वर्ण युग के भी रहे लेकिन इन महासभाओं के कारण समाज में मनमुटाव बढ़ने लगा तथा सामाजिक कार्यकर्ता जातीय सभाओं में सिमट कर रह गये। खण्डेलवाल महासभा, परवार महासभा, जैसवाल महासभा, पद्मावती पुरवार महासभा जैसी जातीय सभाओं में कार्य करने वाले अपनी-अपनी जातियों में अपने आपको शीर्षस्थ समझने लगे। लेकिन यह अवश्य है ये व्यक्ति किसी न किसी सभा से जुड़े रहे और एक प्रकार से समाज सेवा में रचि रखते रहे।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy