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________________ समाज का इतिहास/19 । सामाजिक जैन नेताओं, विद्वानों, कार्यकर्ताओं एवं आम जैन की यही धारणा है कि देश में जैनों की संख्या 1 करोड़ से कम नहीं होनी चाहिये। कुछ वषो पहले ओप. बाबूलाल जमीदार बडोत ने समस्त दिगम्बर जैन समाज की जनगणना की थी। उनके अनुसार यह संख्या 50 लाख तक पहुंच गई थी। यदि इतनी ही संख्या श्वेताम्बर जैन समाज की भी मान ली जावे तो फिर एक करोड़ जनसंख्या स्वतः सिद्ध हो जाती है। वैसे एक लाख से अधिक जैनों की जनसंख्या वाले नगरों की संख्या ही पर्याप्त है। अहमदाबाद, जयपुर, बम्बई, देहली, मद्रास जैसे नगरों के नाम इस दृष्टि से उल्लेखनीय है। 20वीं शताब्दी में होने वाले समाजसेवी : ___ 19वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में जिन विद्वानों एवं श्रेष्ठियों का समाज पर पूरा प्रभाव व्याप्त रहा तथा जिन्होंने समाज को प्रत्येक दिशा में आगे बढ़ाने में एवं संकट के समय तन-मन-धन से समाज का साथ दिया उनमें गुरु गोपालदास बरैय्या, सेठ माणकचन्द जी जे.पी. बम्बई, राजा लक्ष्मणदास जी सी.आई.ई., सेठ मथुरादास टंडैय्या, प. पन्नालाल जी बाकलीवाल, बाबू ज्ञानचन्द जी जैनी - लाहौर, फौजदार मुंशी धन्नालाल जी कासलीवाल जयपुर एवं मुशी भोले लाल जी सेठी जयपुर के नाम विशेषतः उल्लेखनीय है । ये सभी समाज के शिरोमणि थे और अपनी सेवाओं से समाज का मन जीत लिया था। इसी तरह सन् 1910 तक कितने ही प्रतिष्ठित एवं सेवाभावी व्यक्तियों के निधन से समाज को गहरी क्षति पहुंची उनमें से कुछ व्यक्तियों के नाम निम्न प्रकार है : 1. श्रीमद राजचन्द भाई शतावधानी थे। आध्यात्मिक सन्त ये। इनके जीवन एंव सत्यप्रियता से स्वयं गाँधी जी भी प्रभावित थे। 2.. रायबहादुर मूलचन्द जी सोनी, अजमेर का निधन दिनांक 18जून सन् 1901 को हो गया। सोनी जी ने जीवन पर्यन्त समाज सेवा एवं धार्मिक लगन का एक सुन्दर चित्र उपस्थित किया। 3. सहारनपुर निवासी श्री जुगमन्दरदास जी एम.ए. सम्पादक जैन गजट का नवम्बर सन् 1904 में स्वर्गवास हो गया। लालाजी सुधारक विचारों के युग पुरुष थे। 4. बाबू देवकुमार जी रईस आरा का 5 अगस्त, सन् 1908 में मात्र 32 वर्ष की आयु में मामूली बीमारी के पश्चात् स्वर्गवास हो गया। आपका जन्म चैत्र सुदी अष्टमी संवत् 1933 (सन् 1876) को हुआ था। आरा में उन्हीं के नाम पर दि. 14 मई सन् 1910 को "देवकुमार सरस्वती भवन" की स्थापना की गई। 5. रायबहादुर सेठ अमोलकचन्द जी का स्वर्गवास संवत् 1965 ज्येष्ठ बुदी ! (सन् 1908) को हो गया।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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