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________________ राजस्थान प्रदेश का जैन समाज /335 13- चाकसू 14- लालसोट 15- कोटपूतली 1292 1155 678 621 614 534 उक्त स्थिति सन् 1981 को है लेकिन उसके पश्चात् गांवों की स्थिति और भी बिगड़ गई और अधिकांश जैन परिवार गांवों को छोड़कर तहसील मुख्यालय, जिला मुख्यालय अथवा राजधानी में आकर बस गये हैं। विराटनगर तहसील में सबसे अधिक 40 जैन परिवार बैराठ में रहते हैं जो सभी अग्रवाल जैन हैं । बैराठ ऐतिहासिक नगर है। पं. राजमल्ल जी बैराठ के ही थे जिन्होंने समयसार की रब्वा टीका लिखी थी। अमेिर तहसील में भी जैनों की अच्छी संख्या है। फुलेरा तहसील में 28-30 गांवों में जैन परिवार मिलते हैं । इन में सांभर में 50 घर, जोबनेर में जा घर, रेनवाल किशनगढ़ में 50 घर, नरायणा में 30 परिवार, हिंगण्या में 15 परिवार रहते है। पूरी तहसील में खंडेलवाल दि. जैन समाज मिलता है । इसके अतिरिक्त सांभर में चार, जोबनेर में तीन जैन मंदिर हैं । नरायणा के मंदिर बहुत प्राचीन है जिनमें दुर्लभ एवं प्राचीन प्रतिमा विराजमान है । नरायणा में आचार्य धरसेनाचार्य के 12 वीं शताब्दी के चरण चिन्ह हैं । वहां सरस्वती की प्रतिमा भी बहुत प्राचीन एवं कलापूर्ण है। बसवा तहसील में सबसे अधिक 38 परिवार बांदीकुई में मिलते हैं जबकि बसवा बहुत पुराना कस्बा है जहाँ केवल 175 परिवार रहते हैं। श्री दि. जैन महावीर क्षेत्र के प्रथम मंदिर निर्माता अमरचंद बिलाला बसवा के ही थे। 18 वीं शताब्दी के अनेक ग्रंथों के निर्माता पं. दौलतराम कासलीवाल भी बसवा के ही थे । यहाँ का काला बाबा का मंदिर अतिशयपूर्ण है लेकिन समाज धीरे धीरे कम हो रहा है। दृदु तहसील का मुख्यालय मोजमाबाद है जहां जैन खण्डेलवाल समाज के 4) परिवार हैं । मोजमाबाद का तीन शिखरों का मंदिर 17 वीं शताब्दी का मंदिर है जो कला की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है । सांगानेर तहसील में सांगानेर एवं दुर्गापुरा एवं बगरू के अतिरिक्त अन्य गांवों में बहुत कम परिवार मिलते हैं । सांगानेर टाउन तो जयपुर बसने के पूर्व ही बहुत बड़ा नगर था जिसको बीसों विद्वानों को पैदा करने का सौभाग्य प्राप्त है । यहां का संघीजी का मन्दिर जैन कला एवं पुरातत्त्व का बेजोड़ नमूना है । वर्तमान में यहाँ जैनों के 100-125 परिवार रहते हैं । सांगानेर तहसील के बगरू कस्बे में जैनों के अच्छी संख्या में परिवार रहते हैं । दौसा तहसील में स्थित सैथल ग्राम प्रस्तुत पुस्तक के लेखक को जन्म भूमि है । लेकिन पूरे तहसील में दौसा और छारडा ग्राम के अतिरिक्त अन्य गांवों में तो नाम मात्र के परिवार रह गये हैं । सिकराय तहसील में तो जैन परिवारों की और भी दयनीय स्थिति है । केवल सिकन्दरा कस्बे के जैन समाज की दृष्टि अच्छी स्थिति में है जहाँ 25 घरों का थोक है । गीजगढ़ में भी ४ खण्डेलवाल जैन परिवार एवं तीन अग्रवाल जैन परिवार रहते हैं। फागी तहसील में 22-23 गांवों में जैन परिवार मिलते हैं इनमें फागी में 87 घर, चोरु में 37, रेनवाल में 25. माधोराजपुरा में 30. अच्छी संख्या में जैनों के घर मिलते हैं । इस तहसील में खंडेलवाल परिवारों से अधिक दि. जैन अग्रवाल परिवारों की संख्या मिलती है । फागी, रेनवाल, माधोराजपुरा में तो उनकी सबसे अधिक संख्या
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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