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________________ 330/ जैन समाज का वृहद इतिहास श्री हरकचन्द पांड्या कुचामन निवासी श्री हरकचन्द पांड्या पूर्णत: धार्मिक स्वभाव के श्रेष्ठी हैं । मुनिराजों की भक्ति आहार से पुण्य उपार्जन करने वाले पांड्या जी के विगत 17 वर्षों से शुद्ध खानपान का नियम है । आब्बार्य शिवसागर जी,धर्मसागर जी, विजयसागर जी, विवेक सागर जी सभी की आपने सेवा की है। प्रतिदिन पूजा प्रक्षाल का नियम है । कुचामन पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में आपने इन्द्र इन्द्राणी पद का सुशोभित किया । वहीं के अजमेरी मंदिर में एवं मानस्तंभ मे मूर्ति विराजमान की । जयपुर के खजांची रशियां में अष्टाहिका उपवास के साथ सिद्धचक्र मंडल विधान संपन्न करवाया। पांड्या जी का जन्म फाल्गुण सुदी संवत् 1966 को हुआ ! आपने पं.चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ के पास कुचामन में शिक्षा की और किसोरेला माय चले गये । संवत 1984 में आपका विवाह श्रीमती रतनीदेवी के साथ संपन्न हुआ। आपके तीन पुत्र श्री सुमेरकुमार,सम्पतलाल एवं उम्मेदमल हैं । श्री सुमेर कुमार संतोष रोड़वेज के प्रोप्राइटर हैं। श्री सम्पतलाल श्री जैन रोडवेज का कार्य देखते हैं तथा उम्मेदमल पांड्या सी.ए. हैं तथा उम्मेद मल जैन एण्ड कम्पनी के नाम से व्यवसायरत हैं। श्री सम्पतलाल 45 वर्ष के हैं । पत्नी का नाम जीवती देवी तथा दो पुत्र एवं दो पुत्रियों के पिता है। श्री उम्मेदमल की पत्नी का नाम आशा है । एक पुत्र एवं एक पुत्री से सुशोभित हैं। आपके बड़े भाई श्री चन्दनमल जी ने क्षुल्लक दीक्षा धारण की । उदयसागर जी कहलाये तथा अन्त में मुनि अवस्था में सीकर समाधिभरण प्राप्त किया। इन्हों की पत्नी फूलीदेवी विमलमती माताजी है । आचार्य वर्धमान सागर जी के संघ में हैं। पता - एस-7, जनता कॉलोनी,जयपुर। श्री हरकचन्द्र साह जयपुर के प्रसिद्ध समाज नेता स्वर्गीय श्री जमनालाल जी साह के सुपुत्र श्री हरकचन्द्र साह का जन्म दिसम्बर सन 1922 में हुआ। बी.कॉम. पास करने के पश्चात् अगस्त 1942 में जयपुर राज्य की सेवा में प्रवेश किया । 13 फरवरी सन् 1945 में आपने बैंक सेवा में प्रवेश किया तथा 37 वर्ष तक सर्विस करने के पश्चात् 1 दिसम्बर सन् 1982 में आप रीजनल मैनेजर के पद से सेवा निवृत्त हुये । एन् 1939 में आपका मनफूल देवी के साथ विवाह हुआ। आप दोनों को तीन पुत्र एवं दो पुत्रियों के माता-पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है । आपके तीनों पुत्र श्री राजकुमार, डॉ विनोद एवं डा.सुशील तीनों ही उच्च शिक्षित हैं तथा संपन्न जीवन बिता रहे हैं। दोनों पुत्रियों विमला एवं आशा का विवाह हो चुका है । आशा बड़जात्या एम. ए. स्वर्णपदक से अलंकृत तथा एम.बी.ए. है। डॉ.सुशील भी स्वर्णपदक से अलंकृत है । आपके तीनों पुत्रों ने विदेश भ्रमण भी किया श्री साह सामाजिक सेवा में गहन रुचि लेते हैं । जवाहर नगर के नवनिर्मित मंदिर में आपने भगवान पार्श्वनाथ की पाषाण की मूर्ति विराजमान करने का यशस्वी कार्य किया । आपने जैन भवन जनाहर नगर में पूज्य पिताजी की स्मृति में एक कमरे का निर्माण भी कराया एवं जैन दर्शन पुष्पांजली पुस्तिका भी प्रकाशित की है । जयपुर की अनेक सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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