SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 318
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जयपुर नगर का जैन समाज /301 श्री मोहनलाल गंगवाल बूंदी (राजस्थान) के निवासी श्री मोहनलाल गंगवाल जयपुर में आजकल राज पंचायत प्रकाशन वालों के नाम से जाने जाते हैं। सामाजिक क्षेत्र में एवं प्रकाशन के क्षेत्र दोनों में ही गंगवाल साहब की अच्छी ख्याति है । आपका जन्म 28 दिसम्बर, 1925 को हुआ । राजस्थान विश्वविद्यालय से सन् 1950 में एम.कॉम. किया । सर्वप्रथम शिक्षक के रूप में अपना जीवन प्रारंभ किया इसलिये आज भी आपको मास्टर जी के नाम से पुकारा जाता है । सन् 1945 में आपका विवाह श्रीमती पुष्पादेवी के साथ संपन्न हुआ। आप दोनों दो पुत्र एवं तीन पुत्रियों से अलंकृत हैं। दोनों पुत्र राजेन्द्र एवं महेन्द्र आपके ही व्यवसाय में सहयोग देते हैं। दोनों उच्च शिक्षित हैं तथा विवाहित हैं। तीनों पुत्रियों प्रेम,चंदा एवं सुधा का विवाह हो चुका है। गंगवाल साहब ने राजस्थान नियम उपनियम से संबंधित 25-3) पुस्तकों का हिन्दी अनुवाद किया है । सन् 1962 में आपने प्रेस की स्थापना की जो वर्तमान में जयपुर के अच्छे प्रेसों में गिना जाता है । सामाजिक सेवा के क्षेत्र में आपका योगदान उल्लेखनीय है । आप दि. जन औषधालय की कार्यकारियों के सदस्य रह चुके हैं एवं पार्श्वनाथ भवन की कार्यकारिणी सदस्य हैं। मुनिभक्त हैं । समाज की प्रत्येक गतिविधियों में सहयोग देते हैं । आपकी धर्मपत्नी श्रीमती पुष्पादेवी जो रोटेदा याम निवासी भंवरलाल जो पाटोदी की पुत्री हैं धार्मिक प्रकृति वाली महिला हैं । मुनियों को आहार आदि देती रहती हैं। महिला जागृति संघ की सक्रिय सदस्य रह चुकी हैं। पता : राज पंचायत प्रकाशन, चौड़ा रास्ता, जयपुर । श्री रतनलाल काला श्री रतनलाल काला का जन्म करांची में उस समय हुआ जब करांची भारत का ही अंग था। आपके पिताजी श्री इन्दरलाल जी काला का रूई एवं अनाज का थोक व्यापार था। पाकिस्तान बनने के पूर्व उन्होंने करांची में दि. जैन मंदिर का निर्माण करवाया लेकिन पाकिस्तान . बनने के पश्चात उन्होंने चन्द्रप्रभ एवं महावीर स्वामी की मूर्तियां जयपर में लाकर ठोलियों के मंदिर में विराजमान की थी । आप वर्षों तक करांची में रहे इसलिये आज भी रतनलाल जी काला को करांची के नाम से जाना जाता है। इन्टरपीजियेट तक शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात सन् 1951 में 19 वर्ष को आयु में आपका विवाह राणोली के जमनालाल जी रारा की पुत्री इन्द्रमणी के साथ संपत्र हुआ। आपके दो पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं । ज्येष्ठ पुत्र सरोज काला बी.कॉम.एल.एल बी.(1979) है तथा सन् 1981 में तीना के साथ उनका विवाह हो चुका है । दूसरा पुत्र नवीन काला पढ़ रहा है। आपकी दोनों पुत्रियां चन्द्रा एवं चन्दा का विवाह हो चुका है। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती इन्द्रमणी जी का निधन दिनाक 4 सितम्बर 91 को हो गया।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy