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________________ जयपुर नगर का जैन समाज /299 अकादमी,जयपुर में आप प्रकाशन अधीक्षक के पद पर कार्यरत रहते हुए मुद्रण के क्षेत्र में रुचिशील जनों को अपने परामर्श से लाभान्वित करते रहते हैं। जयपुर जैन समाज की विभित्र सामाजिक संस्थाओं के सक्रिय सदस्य हैं । दि. जैन समाज मधुवन,टोंक फाटक,जयपुर के मंत्री एवं राजस्थान जैन साहित्य परिषद,जयपुर के अर्थ मंत्री रह चुके हैं । अच्छे सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रतिभाशाली युवक है। पता.- प्लाट नं. 1335 किसान मार्ग वरकत नागर,जयपुर 302035 फोन :514815 श्री माणकचंद साह जैन धर्म विशारद एत्र बोए. की उपाधि प्राप्त श्री माणकचंद माह पं. मिश्रीलाल जी शास्त्री के सुपुत्र हैं। आपका जन्म 14 अगस्त, 1946 को हुआ तथा श्रीमती सरला के साथ विवाह सूत्र में दि.11 मई 1967 को बंध गये। आप दोनों को एक पुत्र संजीवकुमार एवं एक पुत्री नूतन जैन के माता पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हो चुका है । टेलीफोन विभाग में सेक्शन आफीसर के पद पर कार्यरत श्री साह अत्यन्त विनम्न एवं सेवा भावी युवक हैं। आपके पिताजी द्वारा जयपुर के लश्कर के मंदिर में एक मूर्ति विराजमान करने का पुण्य लाभ ले चुके हैं। पता : प्लाट नं. 533 बरकत नगर,जयपुर। BA श्री मुन्नालाल भावसा जयपुर को शुक्रवार सहेली के मंत्री श्री मुत्रालाल भावसा ने टेलीफोन कार्यालय में | अरिष्ठ सुपरवाइजर पद से निवृत्त होने के पश्चात् अपना समय स्वाध्याय एवं आत्म चिंतन में | लगा दिया तथा 8-10 वर्षों में कितने ही ग्रंथों की स्वाध्याय ही नहीं की है किन्तु गाथाओं एवं श्लोकों को कंठस्य भी कर लिया है। आपका जन्म 8 नवम्बर सन् 1922 को हुआ। मैट्रिक एवं न्यायतीर्थ तक अध्ययन करने के पश्चात् वे केन्द्रीय सेवा में चले गये। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती मनोरमा देवी का 17 फरवरी 1965 को स्वर्गवास हो गया । आपको एक पुत्र एवं चार पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त है। आपका एक मात्र पत्र मरेन्द्र कुमार बी.ए. है तथा रत्नों का व्यवसाय करता है। उसकी पत्नी श्रीमती आसा देवी बैंक सर्विस में है । चारों पुत्रियों सुलोचना,रेणु, पुष्पा एवं विनीता का विवाह हो चुका है। आपके दो पौत्र हैं । आपके पिता श्री गैंदीलाल जी भांवसा जयपुर के प्रसिद्ध संगीतज्ञ थे तथा शुक्रवार सहेली की संवत् 1966 में स्थापना की थी । उनका सन् 1956 में स्वर्गवास हुआ था। माताजी सूरक्षबाई भी धार्मिक स्वभाव वाली महिला थी । वर्तमान में मुन्नालाल जो ने अपने आपको स्वाध्यायी एवं आत्म चिन्तनशील बना दिया है । पता:813, सेवा पथ,लाल जी सांड का रास्ता, जयपुर ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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