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________________ 7 अधिकांश नगरों में घुमाया और समाज के परिचय के साथ-साथ वहां से आर्थिक सहयोग भी दिलाया। उनके बिना बिहार में अकेले जाना बहुत कठिन था। महासभा के महामंत्री श्री त्रिलोकचंद जी कोठारी, कोटा ने इतिहास लेखन के कार्य में व्यक्तिगत सहयोग दिया। जैन गजट की पूरी फाइलें देखने के लिये उपलब्ध कराई। उनका सह एवं सहयोग हमारे लिये सम्बल सिद्ध होता है। इसके अतिरिक्त श्री निर्मल कुमार जी सेठी, अध्यक्ष दि. जैन महासभा जिनके कारण मैं आसाम में इतिहास की खोज में भ्रमण कर सका। सेठी जी की सदैव प्रेरणा मिलती रहती है। उनके छोटे भाई कैलाशचन्द जी सेठी ने तिनसुकिया में, डीमापुर में श्री डूंगरमल जी गंगवाल, चैनरूपजी बाकलीवाल एवं सागरमल जी सबलावत का पूरा सहयोग मिला। श्री डूंगरमल जी के घर पर तो करीब 15 दिन तक ठहर कर उनका स्नेह पूर्ण आतिथ्य प्राप्त किया। इसी तरह इम्फाल में श्री मन्नालाल जी बाकलीवाल के घर पर ठहरकर परिचय प्राप्त करने का कार्य किया । डिब्रूगढ़ में हमारे समधी श्री चांदमल जी साहब गंगवाल का आतिथ्य एवं सहयोग प्राप्त हुआ। हैदराबाद में श्री मांगीलाल जी पहाडे, उज्जैन में पं. सत्यन्धर कुमार जी सेठी, इंदौर में श्री प्रकाशचंद जी टोंग्या, आगरा में श्री विमलचंद जी बैनाड़ा, आदि पचासों महानुभावों का जो सहयोग मिला उसके लिये मैं उनका पूर्ण आभारी हूं । हमें इस बात का बड़ा खेद है कि जिन महानुभावों को प्रस्तुत इतिहास को देखने की बड़ी अभिलाषा थी उनका स्वर्गवास हो जाने के कारण इसे प्रकाशित नहीं देख सके। ऐसे महानुभावों में सर्वश्री श्रेयान्स कुमार जी जैन बम्बई, श्री इन्दरचन्द जी पाटनी डीमापुर, श्री सोहनसिंह जी कानूगो नागौर, रामचन्द्र जी भौंसा जयपुर, आदि के नाम विशेषतः उल्लेखनीय हैं। मैं सभी के प्रति हार्दिक श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूं । पुस्तक की साज-सज्जा एवं प्रेस के सारे कार्य को श्री महेशचन्द्र जी जैन चांदवाड़ ने पूर्ण तत्परता के साथ संपन्न किया उसके लिये मैं आपका पूर्ण आभारी हूँ । आपके कारण ही पुस्तक का नयनाभिराम प्रकाशन हो सका है। - डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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