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________________ प्रकाशक की ओर से "जैन समाज का वृहद् इतिहास" को पाठकों के हाथों में देते हये हमें अत्यधिक प्रसन्नता है । जैन इतिहास प्रकाशन संस्थान का यह द्वितीय पुष्प है। इसके तीन वर्ष पूर्व "खण्डेलवाल जैन समाज का वृहद् इतिहास" संस्थान का प्रथम प्रकाशन था। संस्थान की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य समाज के सामाजिक, सांस्कृतिक एवं पुरातात्विक इतिहास को प्रकाशित करने एवं जैन धर्म के प्राचीनतम एवं पाक ऐतिहासिक २९.५ को देश के हजारसज्ञों के सामने प्रस्तुत करने के उद्देश्य से अप्रैल सन् 1985 में जैन इतिहास प्रकाशन संस्थान की स्थापना करने का मन में एक संकल्प जगा । प्रारंभिक तैयारी के पश्चात सामाजिक इतिहास लेखन का कार्य प्रारंभ किया गया तथा 3-4 वर्ष के सतत परिश्रम के पश्चात् सन् 1989 में खण्डेलवाल जैन समाज का वृहद् इतिहास प्रकाशित किया गया । इतिहास लेखन के कार्य को आगे बढ़ाया गया और तीन वर्ष तक रात्रि-दिन इसी कार्य में लगकर सम्पूर्ण जैन समाज के इधर-उधर बिखरे इतिहास के पृष्ठों को एकीकृत करके समाज के सामने प्रस्तुत किया जा रहा है। समाज के इतिहास का इस प्रकार का कार्य प्रथम बार हुआ है इसलिये इसमें कुछ कमी रहना स्वाभाविक है। आशा है इतिहास वेत्ता इसे उदार दृष्टि से देखेंगे। प्रकाशन के कार्य में समाज के सभी छोटे बड़े समाजसेवियों में से आर्थिक सहयोग की अपेक्षा की गई और मुझे लिखते हुये प्रसन्नता होती है कि अधिकांश समाज सेवियों ने इतिहास लेखन के कार्य की प्रशंसा की और अपना आर्थिक सहयोग भी दिया और उसी के आधार पर इतिहास के दो पुष्प प्रकाशित करने का साहस किया जा सका। इतिहास प्रकाशन का कार्य एक-डेढ़ वर्ष पूर्व ही हो जाना चाहिये था लेकिन अन्य कार्यों में व्यस्त रहने के कारण तथा समाजसेवियो के परिचय को फाइनल करने में तथा उनसे फोटो प्राप्त करने में बहुत समय निकल गया जिसका मुझे दुःख है। भविष्य में प्रति दो वर्ष में इतिहास के आगे के खंड निकल जावें ऐसा प्रयास किया जावेगा। । आभार : इतिहास की सामग्री जुटाने एवं आर्थिक सहयोग प्राप्त करने में सर्वप्रथम गया/डालटनगंज निवासी श्री रामचन्द्र जी रारा का मैं अत्यधिक आभारी हूं जिन्होंने मुझे अपने साथ लेकर बिहार के
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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