SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 269
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 2521 जैन समाज का वृहद् इतिहास ही आपका विवाह श्रीमती चम्पादेवी से हो गया । चम्पादेवी श्री केशरलाल कटारिया की पुत्री हैं । श्रीमती चम्पादेवी को दो पुत्रों को जन्म देने का गौरव प्राप्त है । राजीव एवं संजीव दोनों ही पुत्र लॉ ग्रेज्यूएट हैं तथा दोनों का विवाह हो चुका है। पांड्या जी एवं श्रीमती चम्पादेवी दोनों ही खानियां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव में एवं आमेर की बाहरली नशियां में आयोजित पंचकल्याणक महोत्सव में भी इन्द्र-इन्द्राणी का पद ग्रहण कर चुके हैं । जयपुर के चौबीस महाराज के मंदिर के तल-घर में तथा चूलगिरी पर्वत पर चौबीस टोंकड़ों में से एक में मूर्ति विराजमान करने का सौभाग्य प्राप्त कर चुके हैं। सन् 1964 में तेरह पंथी बड़ा मंदिर में एक वेदी का निर्माण करवाया था। आपकी माताजी ने श्रीमती चम्पा देवी धर्मपत्नी श्री धूपचन्द पांड्या __ बोरिवली बंबई के मन्दिर में मूर्ति विराजमान की थी । खोरा ग्राम के राजकीय विद्यालय में एक कमरे का निर्माण करवाया। फिरोजाबाद पंचकल्याणक में आपके पुत्र राजीव संजीव तीसरे चौथे इन्द्र के पद से सुशोभित हुये थे। पांड्या जी धन्वंतरी औषधालय एनं दि. जैन संस्कृत महाविद्यालय के सदस्य हैं। पता : मोहनवाड़ी सूरजपोल गेट,जयपुर । फोन- 564487 घर 4144017 श्री नथमल गंगवाल जन्म:- 64 वर्ष की आयु, शिक्षा सामान्य व्यवसाय-होटल संचालन माता-पिता :- स्व.श्री छोगालाल जी । आपका स्वर्गवास ?) वर्ष की आयु में करीब 42 वर्ष पहिले हुआ । मातृश्री श्रीमती गुलाबदेवी का स्वर्गवास 90 वर्ष की आयु में हुआ। विवाह :- 48 वर्ष पूर्व श्रीमती सुउठी देवी से संपन्न हुआ। सन्तान :- 4पुत्र एवं 3 पुत्रियां आपने अपने एक पुत्र अशोक कुमार को अपने छोटे भाई चांदमल जी गंगवाल को दत्तक दे दिया। शेष तीन पुत्रों में श्री मोतीकुमार 35 वर्षीय हैं । जन्मतिथि 9-12-54 है। धर्मपत्नी श्रीमती सरोजदेवी है । एक बार दोनों पति पत्नी ने अष्टान्हिका व्रत किये थे। दूसरा पुत्र श्री निर्मलकुमार चार्टर्ड एकाउन्टेन्ट है । 33 वर्षीय है । मीरा धर्मपत्नी हैं । आपके एक पुत्र एवं पुत्रिया हैं। तीसरे पुत्र श्री विमलकुमार 3। वर्षीय हैं । पली का नाम मंजु है । तीनों पुत्रियों का विवाह हो चुका है । विशेष :- दोनों भाईयों ने अपने प्राम हस्तेडा में अपने माता-पिता की स्मृति में कन्या पाठशाला के लिये भवन बनवाकर राज्य सरकार को दिया । कुचामन एवं नलवाडी के पंचकल्याणक में विशेष आर्थिक सहयोग दिया । जयपुर के पार्श्वनाथ मंदिर (सोनियान) में कांच का बहुत सुन्दर कार्य कराया । जम्बूद्दोप हस्तिनापुर में एक कमरे का निर्माण कराया । आपकी धर्मपत्नी सुउठी देवी लगातार दश वर्ष तक दशलक्षण वत्त के उपवास करके एक कीर्तिमान स्थापित कर चुकी हैं । पता : आसाम होटल.स्टेशन रोड, जयपुर
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy