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________________ 224/ जैन समाज का वृहद् इतिहास लेकिन माताजी श्रीमती रैनादेवी का आर्शीवाद अभी प्राप्त है । आप पंचम प्रतिपाधारी हैं तथा मुनिराजों को आहार देती है। आपके शुद्ध खानपान का नियम है। श्री काला जी ने कलकत्ता से सन् 1958 में मैट्रिक पास किया और 10 मई सन् 1959 को श्रीमती सुमित्रा देवी सुपुत्री श्री हरकचंद जी पांडया सजानगढ के साथ आपका विवाह हआ। जिनसे आपको तीन पत्र एवं एक पत्री के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपके ज्येष्ठ पुत्र श्री जितेन्द्र बीकॉम. हैं । 38 वर्ष के युवा हैं। उनकी पत्नी का नाम शशि जैन है जो एक पुडी नेहा की जननी है। आप कलकत्ता में व्यवसाय करते हैं । दूसरा पुत्र मनोजकुमार एम.बी.ए. में अहमदाबाद में अध्यनरत है तीसरा पुत्र मनोजकुमार बी.कॉम हैं तथा देहली में जैन रोडवेज का कार्य देखते हैं। आपको एक मात्र पुत्री बेला ने बी.ए. किया है । उसका विवाह श्री सुरेश कुमार जी गंगवाल सुपुत्र श्री झूमरमल जी गंगवाल गोहाटी से हो चुका है। श्रीमती बेला एक पुत्री की मां है। श्री काला जी का धार्मिक जीवन यापन की ओर विशेष ध्यान रहता है । भगवान बाहुबली सहस्त्राब्दी महामस्तकाभिषेक के अवसर पर रजत कलश से भगवान बाहुबली का अभिषेक करने का सौभाग्य प्राप्त किया। आप सामाजिक सेवा में विशेष अग्रसर रहते हैं। जयपुर स्टेशन पर स्थित दि. जैन मंदिर बगरूवाला के ट्रस्टी हैं। सुजानगढ परिषद के उपाध्यक्ष एवं जयपुर ग्रेटर लाइन्स क्लब के सदस्य हैं । सन् 1974 में सुजानगढ से जयपुर व्यवसाय के लिये आये और यहीं के हो गये । आपके परिवार द्वारा सुजानगढ़ में एक आयुर्वेदिक जैन औषधालय का संचालन किया जाता है जिसका मोहनलाल मोहन लाल मिश्री लाल काला गिटिबेल ट्रस्ट के नाम से ट्रस्ट बनाया जा चुका है। आपके पितामह श्री मोहनलाल जी अपने जमाने के समाज के प्रमुख व्यक्तियों में अपना विशिष्ट स्थान रखते थे। आपकी अच्छी धाक थी। वे सुजानगढ नगरपालिका के सदस्य तथा बीकानेर स्टेट असेम्बली के सदस्य रहे थे। कालाजी के चार छोटे भाई और हैं जिनके नाम मोतीलाल जी,जवाहरलाल जी,माणिक लाल जी एवं अजीत लाल जो है । पहले एवं चौथे माई कलकत्ता में व्यवसाय करते हैं। दूसरे भाई जयपुर एवं तीसरे देहली में व्यापार करते हैं। परिवार जन श्री मिश्रीलाल जी काला स्रो मोहनलाल बी श्री सोहनलाल जी पता- विमल आशीष,डी 216/3 भास्कर मार्ग, बनीपार्क,जयपुर
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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