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________________ जयपुर नगर का जैन समाज /223 श्री कमलचंद जी कासलीवाल कमल एंड कम्पनी के संस्थापक श्री कमलचंद कासलीवाल जी की गणना जयपुर के विशिष्ट नागरिकों में की जाती है । राज्य सेवा एवं वकालात के पैतृक एवं पारिवारिक धन्धे को छोड़कर आपने आटोमोबाइल्स एवं मोटर उद्योग की ओर कार्यक्षेत्र बनाया और उसमें अभूतपूर्व सफलता भी प्राप्त की। आपका जन्म 9 अगस्त सन् 1914 को जयपुर में हुआ। जब वे 18 वर्ष के हुये तो आपका विवाह श्रीमती रतनदेवी के साथ संपन्न हुआ। आपके पांच पुत्र एवं दो पुत्रियां हैं। सभी पुत्र एवं पुत्रियां उच्च शिक्षित हैं तथा आटोमोबाइल्स में अपने पिता के साथ कार्यरत हैं। ___ आपने अपने जीवन में कितने ही छोटे बड़े उद्योगों को स्थापना ही नहीं के बल्कि उनको सुसंचालित भी किया। ऐसे उद्योगों में 1-कमल एण्ड कम्पनी एम.आई.रोड,जयपुर,2. कमल एपड कम्पनी कोच वर्क्स,3. कमल पोटर कम्पनी,4. कमल ट्रेडिंग कम्पनी 5- कमल आटो इन्डस्ट्रीज कोटा,6- कमल आटो इन्डस्ट्रीज कोच वर्क्स कोटा,7- कमल सुरखरसह-निधि कमल कम्पनी प्राइवेट लि.के नाम प्रमुख रूप से लिये जा सकते हैं । जयपुर नगर में सन् 1939 से 1972 तक सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस चलाकर आपने इस क्षेत्र में एक कीर्तिमान स्थापित किया। सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विस के लिये आपको जयपुर के नागरिक आज भी याद करते हैं। आप राजस्थान आटोमोबाइल्स डीलर्स एसोसियेशन,राजस्थान पेट्रोलियम डीलर्स एसोसियेशन एवं जयपुर क्लब लि. के वर्षों तक अध्यक्ष रह चुके हैं । वर्तमान में जयपुर मोटर फ्रेन्चाइल डीलर्स एसो.,राज.आटोमोबाइल्स बोडी बिल्डर्स एसो.के अध्यक्ष हैं तथा कितनी ही आटोमोबाइल्स संस्थाओं एवं जयपुर चैम्बर आफ कामर्स एण्ड इन्डस्ट्री के सदस्य हैं। उक्त व्यापारिक संस्थाओं के अतिरिक्त कासलीवाल जी सन्मति पुस्तकालय जयपुर के अध्यक्ष के साथ उसके विकास में सर्वाधिक योगदान आपका ही रहता है । मास्टर मोतीलाल जी संघी के आप अनन्य भक्त हैं और उनकी स्मृति को चिरस्थायी बनाने के लिये आपने सन्मति पुस्तकालय को एक नया जीवन प्रदान किया है। श्री कमलचंद जी कासलीवाल की सामाजिक सेवायें भी प्रशंसनीय है। आपके उद्योगों में समाज के कितने ही युवक । कार्यरत हैं। आप अपने मधुर व्यवहार के लिये प्रसिद्ध है। जयपुर की साहित्यिक संस्था श्री महावीर पंथ अकादमी के आप संरक्षक हैं । आपकी धर्मपत्नी श्रीमती रतनदेवी जी बहुत शांत एवं सरल प्रकृति वाली महिला हैं । धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में जितना भी सहयोग अपेक्षित होता है उसे देने में आप को प्रसत्रहा होती है। श्री कंवरीलाल काला सुजानगढ (राजस्थान) में दि.13 मार्च सन् 1942 को जन्मे श्री कंवरीलाल काला युवा समाजसेवी हैं । आप श्री मोहनलाल जी काला के सुपौत्र एवं श्री सोहनलाल जी काला के सुपुत्र हैं। आपके पिता जी श्री सोहन लाल जी का मात्र 40 वर्ष की आयु में ही स्वर्गवास हो गया। V
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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