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________________ 204/ जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री बधीचन्द जी गंगवाल श्री खिन्दूका जी के सहयोगी श्री बचीचन्द जी गंगवाल उदारता एवं करुणा की प्रतिमूर्ति थे। श्री गंगवाल जी ने भी महावीर क्षेत्र की करीब 8 वर्ष तक मंत्री रहते हुये चिरस्मरणीय सेवा की । श्री मालीलाल जी कासलीवाल दीवान साहब के नाम से विख्यात श्री मालीलाल जी कासलीवाल का जन्म 1 मार्च,1881 ई.को हुआ था। 1995 में बी.ए. की परीक्षा पास की और राजकीय प्रशासनिक सेवा में आ गये। सर्वप्रथम तहसीलदार नियुक्त हुये,बाद में मालपुरा,दौसा, झुझुनू हिण्डोन आदि स्थानों पर नाजिम रहे तथा अंत में रेवेन्यू सीगे के दीवान पद से सेवा निवृत्त हुये । स्पेशल सप्लाई आफीसर तथा चीफ पट्टा आफीसर के पद पर भी कार्य किया । दीवान साहब धार्मिक प्रवृत्ति के अध्ययन प्रेमी थे । जयपुर के तेरहपंथी बड़े मंदिर में इनका मार्मिक प्रवचन होता था। वे धार्मिक सामाजिक एवं शैक्षणिक अनेक संस्थाओं से जुडे हये थे। वे तेरहपंथी बडा मंदिर,गुमानी का मंदिर, महावीर हाई स्कूल,पद्मावती कन्या विद्यालय के अध्यक्ष रहे तथा दि.जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी की प्रबंधकारिणी कमेटी के वर्षों तक अध्यक्ष रहे। इनका निधन् दि.19-9-1962 को हुआ । इनके एक पुत्र श्री नरेन्द्र मोहन कासलीवाल वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के जज हैं जिन्हें दिगम्बर जैन समाज के सर्वप्रथम जज होने का गौरव प्राप्त है । इससे पूर्व वे राज. उच्च न्यायालय में न्यायाधिपति एवं हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। श्री केशरलाल जी बशी श्री बख्शी जी अपनी ईमानदारी एवं कर्तव्य निष्ठा के लिये सर्वत्र समादृत थे । वित्त विषय के वे विशेषज्ञ थे। समाज में इनका विशेष सम्मान था। दिगम्बर जैन संस्कृत कालेज एवं दिगम्बर जैन औषधालय के वर्षों तक अध्यक्ष रहे । श्री महावीर क्षेत्र के ये यशस्वी मंत्री रहे । दि.19 जून,75 को जब वे महावीर जी से दर्शन करके लौट रहे थे तो मार्ग में गाड़ी से लुढक जाने के कारण उनकी मृत्यु हो गई । उस समय वेत) वर्ष के थे। श्री केशरलाल जी अजमेरा श्री अजमेरा जी का सामाजिक, साहित्यिक एवं राजनैतिक तीनों ही विधाओं का जीवन रहा। आपने सन् 1935 में प्रकाशित जयपुर एलबम जो एक अनूठा संदर्भ ग्रंथ है, संपादन किया । इसी तरह उन्होंने राजस्थान वार्षिकी का सम्पादन किया सथा अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड पत्र प्रकाशित किया । राजस्थान जैन सभा के वे अध्यक्ष रहे । श्री महावीर क्षेत्र से प्रकाशित महावीर संदेश" के भी वे सम्पादक रहे। पं. चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ पंडित जी साहब का जन्म 22 जनवरी सन् 187) को भादवा ग्राम में हुआ था । उन्होंने वाराणासी से न्यायतीर्थ परीक्षा पास की। कुछ वर्षों तक वे कुचामन विद्यालय के प्रधानाध्यापक रहे और फिर सन् 1933 में जयपुर के दि.बैन संस्कृत कॉलेज के प्राचार्य बनकर आये। पंडित जी ने अपने प्रखर पांडित्य, ओजस्वी वक्तृत्व कला,लेखनकला,निकिता एवं नेतृत्व करने की स्वाभाविक क्षमता से सारे जयपर जैन समाज को अपने वश में कर लिया था तथा वे जब तक जिये समाज के एक मात्र नेता माने जाते रहे । उन्होंने पघासौं व्यक्तियों के जीवन का निर्माण किया । लेखक को भी उनका शिष्य होने का गौरव प्राप्त है । समाज में
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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