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________________ जयपुर नगर का जैन समाज :205 ऐसे आकर्षक व्यक्तित्व का धनी विद्वान सैकड़ों वषों में होता है । पंडित जी को जैन दर्शनसार, भावना विवेक जैसी पुस्तकें उल्लेखनीय हैं। वे “जैन बन्धु” “जैन दर्शन" एवं “वीरवाणी के प्रधान सम्पादक थे । जैन दर्शन के प्रकाण्ड विद्वान होने के साथ-साथ वे प्रतिभाशाली कवि भी थे। उनकी कविताओं का संग्रह'दार्शनिक के गीत' के नाम से प्रकाशित है । पंडित जी सा. का निधन 26 जनवरी सन 1949 को हुआ ! पं, इन्द्रलाल जी शास्त्री शास्त्री जी प्राचीन विचारधारा के कट्टर सपर्थक विद्वान थे। जैन विद्वानों के अतिरिक्त संस्कृत पंडितों में भी उनका अच्छा स्थान था। वे संस्कृत एवं हिन्दी के अच्छे कवि थे तथा संस्कृत में धारा प्रवाह बोलते थे । भा.दि.जैन महासभा,खण्डेलवाल महासभा एवं शास्त्री परिषद् के वे प्रमुख कार्यकर्ता थे। अंहिसा पत्र के वे संस्थापक एवं संपादक थे । शास्त्री जो राजनीति में भी भाग लेते थे तथा रामराज्य परिषद के प्रमुख कार्यकर्ता थे। श्री गुलाबचन्द जी कासलीवाल एडवोकेट स्व.श्री गुलाबचन्द कासलीवाल प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी तथा उच्च कोटि के वकील थे । सन् 1956 से 1972 तक वे राजस्थान सरकार के एडवोकेट जनरल रहे । वे सुप्रीमकोर्ट आफ इंडिया के सन् 1957 से अन्त तक मीनियर एडवोकेट रहे । वे रायल इंडियन सोसायटी लन्दन के फेलो थे और अन्तर्राष्ट्रीय कमीशन आफ जूरिस्ट्स के सदस्य थे । वे बार एसोसियेशन उन्डर मैम्बर थे। जयपर बार एसोसियेशन के फाउन्डर मैम्बर एवं आजीवन सदस्य थे। हाईकोर्ट बार ऐसोसियेशन के आजीवन सदस्य थे। श्री कासलीवाल जी जयपुर म्युनिसिपल कौंसिल के प्रथम चुने हुये अध्यक्ष थे और निरन्तर पांच क्षों तक सर्वसम्मति से अध्यक्ष चुने रहे । वे नगर विकास न्यास के प्रथम चैयरमैन हुये । वे दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीर जी के 40 वर्षे तक सदस्य रहे तथा राजनीति में भी उनका वर्चस्व रहा । वे जयपुर राज्य प्रजामंडल के अध्यक्ष रहे । उन्होंने सन् 1929 में सत्यायह आंदोलन चलाया और 6 माह तक कारागार में रहे | उनके द्वारा चलाये गये सत्यागह आंदोलन को महात्मा गांधी ने भी सराहा था। वे राजस्थान विधानसभा के 1952 के चुनावों में बड़े भारी बहुमत से चुने गये । श्री मोहनलाल काला श्री काला जी कर्तव्य निष्ठा एवं कर्मठता की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने जयपुर लेखा कार्यालय में लेखक के रूप में प्रवेश किया लेकिन अन्त में अकाउन्टेन्ट जनरल के पद से रिटायरमेन्ट लिया । जब सामाजिक मेवा में जुटने लगे तो अपने स्वयं के बलबूते पर भा. तीर्थ क्षेत्र कमेटी को लाखों की सहायता राशि भिजवाकर एक कीर्तिमान स्थापित किया । कालाजी का जयपुर की सभी सामाजिक संस्थाओं से घनिष्ठ संबंध था। दि.जैन महावीर क्षेत्र कमेटी, दि.जैन संस्कृत महाविद्यालय के अध्यक्ष एवं मंत्री रहे। श्री मोहनलाल जी काला सेवा एवं त्याग की प्रतिमूर्ति थे। आपके दो पुत्र हैं । डा. प्रेमचन्द काला एवं नरेन्द्र कुमार दोनों ही अपने पिताजी के कदमों पर चलने वाले युवक हैं । श्री मोहनलाल जी का अकस्मात ही एक दुर्घटना में निधन हो गया। उनके निधन से समाज की जो क्षति हुई है उसकी पूर्ति होना सहज संभव नहीं है।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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