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________________ जयपुर नगर का जैन समाज/203 मुंशी प्यारेलाल जी कासलीवाल आप जयपुर राज्य के अन्तिम जैन मिनिस्टर (1910-22) थे। आप के ज्येष्ठ पुत्र स्व.श्री नेमीचन्द जी कासलीवाल लोकसपा के सदस्य रहे । दूसरे पुत्र स्व.श्री रामरतनजी कासलीवाल उदयपुर विश्वविद्यालय में राजनीति के प्रोफेसर रहे तथा उनके एक पुत्र डा.राजमलजी कासलीवाल ने चिकित्सा जगत में महती ख्याति प्राप्त की । वे भी अपने पिता के समान श्री महावीर क्षेत्र कमेटी के कितने ही वषों तक अध्यक्ष रहे। डा. कासलीवाल आजाद हिन्द फौज में सुभाषचन्द बोस के साथ कर्नल भी रहे मोतीलाल जी दारोगा लरोगा मोतीलाल जी इस सदी के दिगम्बर जैन समाज के ख्याति प्राप्त समाज सेवी थे। समाज में उनको प्रतिष्ठा एवं मान्यता अत्यधिक थी । वे जयपुर राज्य की मर्दानी ड्योढी के दारोगा थे । दरबार में उन्हें पूर्ण सम्मान प्राप्त था ! जब भी महाराजा की सवारी लगती,किसी भी त्यौहार या अन्य समय पर कोई राजकीय शोभा यात्रा निकलती उसमें वे हाथ में छड़ी लेकर सबसे आगे चलते थे। वे किसी भी जगह अपनी लम्बाई से पहिचान लिये जाते थे। हल्दियों के रास्ते में ऊंचा कुआ के पास उनकी विशाल हवेलियों तथा मंदिर है । उन्हें जागीर प्रदान की हुई थी। मास्टर मोतीलाल जी संघी इसी शताब्दी में मास्टर मोतीलाल जी संधी हुये जो सेवा की साक्षात मूर्ति थे । इन्होंने अपना जीवन स्कूल मास्टर गणित अध्यापक के रूप में आरम्भ किया और अंतिम समय तक मास्टर साहब के नाम से प्रसिद्ध रहे । मास्टर साहब ने कितने ही युवकों के जीवन का निर्माण किया । वे नैतिकता के सफल प्रचारक व त्यागी जीवन के प्रतीक थे ।वे विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध कराते । वे घर घर जाकर अध्ययन के लिये पुस्तके बांटते थे । पुस्तकालय क्षेत्र में उनका नाम अमर रहेगा। भारत के साइबेरी साइन्स के प्रणेता डा. एस. रंगनाथन ने मास्टर साहब की भूरि-भूरि प्रशंसा करके यह बताया कि वे पुस्तकालय के आंदोलन के प्रणेता रहे । आपका जन्म 25 अप्रैल सन् 1876 ई.जयपुर जिले के चौमूं कस्बे में हुआ था। श्री कपूरचन्द जी पाटनी स्थ.पारनी जी का राजनैतिक एवं सामाजिक जीवन अनेक विशेषताओं से भरा पड़ा है । उनकी सूझबूझ ड्राफ्टिग प्रसिद्ध यो । जब सर मिर्जा जयपुर के प्रधानमंत्री बन कर आये तो वे पाटनी जी के परामर्श को बहुत महत्व देते थे। जयपुर राज्य प्रजा मंडल के संस्थापक एवं प्रथम मंत्री थे। 26 सितम्बर,1946 को 45 वर्ष की अल्पायु में आपका स्वर्गवास हो गया। श्री रामचन्द्र जी खिन्दूका सामाजिक क्षेत्र में श्री रामचन्द्र जी खिन्ट्रका का नाम वर्षों तक समाज पर छाया रहा। वे प्रारम्भ में दि.जैन खण्डेलवाल महासभा के जयपुर के प्रतिनिधि संयोजक थे । श्री महावीर क्षेत्र कमेटी के वे वर्षों तक मंत्री रहे और क्षेत्र के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। श्री महावीर क्षेत्र के अन्तर्गत साहित्य शोध विभाग की स्थापना में आपका प्रमुख योगदान रहा।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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