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________________ राजस्थान प्रदेश का जैन समाज / 187 एक अलग शाखा / सम्प्रदाय स्थापित की जो तेरहपंथी शाखा कहलायी । वर्तमान में आचार्य तुलसी इसी पंथ के नवम आचार्य हैं। इस प्रकार राजस्थान का जैन समाज दिगम्बर श्वेताम्बर, स्थानकवासी एवं तेरहपंथी इन चार सम्प्रदायों में विभक्त है। लेकिन सभी सम्प्रदाय आदिनाथ से महावीर पर्यन्त 24 तीर्थंकर होना मानते हैं । जैन जातियाँ दिगम्बर जैन समाज विभिन्न जातियों में विभक्त है। यद्यपि इन जातियों को 84 संख्या मानी जाती है। लेकिन गत 2 हजार वर्षों में जातियाँ बनती रही और बिगड़ती रही हैं। खण्डेलवाल जैन समाज का वृहद इतिहास पुस्तक में 237 जातियों के नाम गिनाये गये हैं । इसी बीसवीं शताब्दी में भी नेमा जाति को खण्डेलवाल जाति में मिलाकर उसको बाकलीवाल गोत्र प्रदान किया गया। राजस्थान में वर्तमान में निम्न जातियों की प्रधानता है } 1. खण्डेलवाल जैन समाज - खण्डेलवाल जैन समाज वैसे तो राजस्थान के सभी भागों में बसा हुआ है। लेकिन ढूंढाड प्रदेश इसका प्रमुख प्रदेश है इसके अतिरिक्त अजमेर, कोटा, बूंदी, झालावाड, नागौर, पाली, सीकर, भीलवाड़ा एवं उदयपुर जिलों में भी इस समाज का बाहुल्य है । खण्डेलवाल जैन समाज की सर्वाधिक जनसंख्या राजस्थान की राजधानी जयपुर में मिलती है। 2. अग्रवाल जैन समाज :- खण्डेलवाल जैन समाज के पश्चात् राजस्थान में अग्रवाल जैन समाज की संख्या आती है। धार्मिक मान्यता रीति-रिवाज, उत्सव विधान, पूजा पाठ आदि की दृष्टि से सारा अग्रवाल जैन समाज दिगम्बर जैन समाज का प्रमुख अंग है। अग्रवाल जैन समाज के जयपुर, टोंक, अलवर, कोटा, बूंदी जैसे जिलों में पर्याप्त संख्या में घर मिलते हैं। अग्रवाल जैन समाज व्यापारी समाज हैं। 3. बघेरवाल जैन समाज :- राजस्थान में बघेरवाल समाज भी अच्छी संख्या में मिलता है। बघेरवाल जाति की उत्पत्ति टोंक जिले में स्थित बघेरा ग्राम से मानी जाती हैं। लेकिन वर्तमान में वहां बघेरवालों का एक भी परिवार नहीं रहता । राजस्थान के कोटा, बूंदी, टोंक, झालावाड़ जिले इस समाज के प्रमुख जिले माने जाते हैं । बघेरवाल समाज नगरों की अपेक्षा गाँवों में अधिक रहता है । धार्मिक दृष्टि से इस समाज में अच्छी कट्टरता है । बघेरा का शांतिनाथ स्वामी का मंदिर, चांदखेड़ी का आदिनाथ जैन मंदिर, चित्तौड़गढ़ किले का जैनकीर्ति स्तंभ, इसी समाज के श्रेष्ठियों द्वारा निर्मित है। बघेरवाल जाति 52 गोत्रों में विभक्त है। महापंडित आशाधर बघेरवाल जाति में उत्पन्न हुये थे । 4. हूंबड जैन समाज :- • हूंबड जैन समाज राजस्थान के बागड प्रदेश में प्रमुख रूप से मिलता है । डूंगरपुर, प्रतापगढ़, उदयपुर, बांसवाडा जिलों में हूंबड समाज अच्छी संख्या में पाया जाता है। यह समाज दस्सा एवं बीसा दो भागों में विभाजित है। राजस्थान के झालरापाटन में स्थित शांतिनाथ स्वामी मंदिर इस जाति द्वारा निर्मित मंदिरों में से है ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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