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2 / जैन समाज का वृहद् इतिहास
शिलालेख
1. शिलालेख 2. मूर्तिलेख
3. यंत्र लेख
इतिहास के स्रोत
पुरातत्त्व सामग्री
1. स्मारक
2. भित्ति चित्र
3. शिल्प कला
साहित्यिक सामग्री
1. पुराण एवं कथा साहित्य
2. पट्टावलियाँ
זי
3. ग्रंथ प्रशस्तियाँ
4. यात्रा साहित्य
इतिहास के उक्त विभिन्न स्रोतों में समाज के इतिहास की विपुल सामग्री मिल सकती है। उदाहरण के लिये यहां कुछ स्रोतों के नाम प्रस्तुत किये जा रहे हैं :
शिलालेख :
1. बिजोलिया (राज.) में उपलब्ध संवत् 1226 का शिलालेख, वहीं पर संवत् 1565 एवं निषेधिका लेख संवत् 1483 में बहुत से ऐतिहासिक तथ्य निबद्ध है। संवत् 1226 के शिलालेख में बिजोलिया में भगवान पार्श्वनाथ पर कमठ का उपसर्ग होने का उल्लेख मिलता है।
2. हाथी गुम्फा का शिलालेख : यह शिलालेख जैन सम्राट् खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालता है।
इस तरह के शिलालेख माणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रंथ माला के पांच भागों में प्रकाशित हो चुके है।
मूर्तिलेख : जैन मूर्तिलेखों, यंत्र लेखों में इतिहास की विपुल सामग्री उपलब्ध होती है। मथुरा की खुदाई से प्रकाश में आई मूर्तियों से प्रमाणित हुआ है कि आज से लगभग दो हजार वर्ष पूर्व जैन प्रतिमायें नग्न ही होती थी। इन मूर्तियों पर उत्कीर्ण लेखों में इतिहास की प्राचीनतम सामग्री संकलित की जा सकती है।
यंत्र लेख : मूर्ति लेखों के समान यंत्र लेखों में भी जैन समाज के इतिहास की विपुल सामग्री उत्कीर्ण है। जयपुर एवं सवाईमाधोपुर के जैन मन्दिरों में सैकड़ों की संख्या में यंत्र मिलते है जिनमें प्राचीन लेख अंकित
है ।
पुरातत्त्व सामग्री में हमने स्मारक भित्ति चित्र एवं शिल्प कला से सम्बन्धित सामग्री को इतिहास के स्त्रोत माने हैं। लेकिन अभी तक इन पर बहुत कम काम हुआ है। जयपुर, बूंदी, सवाईमाधोपुर के मन्दिरों से अच्छे भित्ति चित्र मिलते हैं। स्मारकों में चित्तौड़ के किले पर निर्मित कीर्ति स्तम्भ, आमेर (जयपुर) स्थित दिगम्बर जैन नशिया का कीर्ति स्तम्भ, आमेर के सरकारी म्यूजियम के कीर्ति स्तम्भों में इतिहास की उल्लेखनीय सामग्री उपलब्ध होती है।