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________________ बीजापुर (दक्षिण का आगरा) गुलबर्गा से रोडमार्ग द्वारा बीजापुर का यात्रा क्रम इस प्रकार है-गुलबर्गा से जंबर्गी 39 कि.मी, जंबर्गी से सिन्दगी 45 कि.मी., सिन्दगी से हिप्परगी 23 कि.मी. और वहाँ से बौलापुर 37 कि.मी की दूरी पर, राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 19 पर अबस्थित है । बंगलोर-हुबली-शोलापुर छोटो लाइन (मीटरगेज) पर बीजापुर दक्षिणमध्य रेलवे का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। भारत सरकार और कर्नाटक सरकार द्वारा अहविज्ञापित बोजापुर अपनी गोलगुम्बद के लिए एक अत्यन्त आकर्षक एवं आश्चर्यप्रइ पर्यटक केन्द्र है। वोजापुर का प्राचीन नाम विजयपुर था जिसका उल्लेख सप्तमशती के एक स्तम्भ में एवं ॥वीं शती के मल्लिनाथ पुराण में उपलब्ध होता है। कन्नडभाषा में वर्तमान में भी इसको बीजापुर ही कहा जाता है। दिगम्बर जैन मन्दिर वर्तमान में बीजापुर में दो दिगम्बर जैन मन्दिर हैं-(1) प्राचीन दि. जैन आदिनाथ मन्दिर । इसमें 11वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक की प्रतिमाएं विराजमान हैं। (2) दरगा के सहस्रफी पार्श्वनाथ। बीजापुर जैन साहित्य की दृष्टि से भी अति महत्त्वपूर्ण है। वह नगर कन्नड़ के महाकवि पम्प की जन्मभूमि है जो कि स्वरचित 'एम्परामायण' और 'मल्लिनाथ पुराम' इन दो महाकृतियों के कारण जैन साहित्य एवं कन्नड़ साहित्य में अमर ही गये हैं और अधुना भी जिनका नाम साहित्यकारों द्वारा बड़े आदर से लिया जाता है। साहित्यकार इनको अभिनन पम्प' कहते धे, वास्तव में उनका नाम नागचन्द्र प्रसिद्ध धा। इसी प्रकार उनको रामायण का नाम भी 'ग़मचन्द्र-चरितपुराण' के नाम से प्रसिद्ध था। बोजापुर से 25 कि.मी. की दूरी पर नाबानगर नामक एक स्थान पर एक दि. जैन मन्दिर है। इस मन्दिर में हरे रंग के पाषाण की एक पार्श्वनाथ की रपणीय प्रतिमा 14 फीट उन्नत विराजमान है। बीजापुर जिले के तीन प्रमुख जैन कला केन्द्र है-1. बादामी, 2. पट्टदकल, 3. ऐहोल-ये अपने इतिहास और शिल्पकला के लिए अनेक विद्वानों के अध्ययनस्थल और आज भी देशी एवं विदेशी पर्यटकों के आकर्षण केन्द्र हैं। इस जिले में 13 जैन स्थल हैं। कुन्दाद्रि (कुन्दकुन्दबेट्ट) कुन्दाद्रि को प्राप्त करने का मार्ग इस प्रकार है-नरसिंह राजपुर कोप्पातीर्थ हल्ली-गुइडकरी--से कुन्दाद्रि को सम्भवतः 8 कि.मी. वस गाड़ी से या पैदल यात्रा से प्राप्त किया जाता है। 392 :: जैन पूजा काव्य : एक चिन्तन
SR No.090200
Book TitleJain Pooja Kavya Ek Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size7 MB
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