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________________ इस पूजा-काव्य में 99 पद्यों की रचना पाँच प्रकार के छन्दों में निबद्ध की गयी है। इस काव्य में रूपक, उपमा. उत्प्रेक्षा, स्वभावोक्ति, परिकर आदि अलंकारों द्वारा तथा प्रसादगुण के प्रयोग से शान्तरस की शीतल वर्षा की गयी है पदमरागमणिवरन धरन, तनतुंग अढ़ाई शतक दण्ड अखण्ड, सकल सुरसेवत आई। धरणि तात विख्यात, सुमोमा जू के नन्दन पदमचरण धरि राग सथापों इत करि वन्दन। मक्सी पार्श्वनाथ श्री अतिशय क्षेत्र मक्सी पार्श्वनाथ मध्य रेलवे भोपाल उज्जैन लाइन पर स्थित मक्सी नामक रेशन से मारा: तीन कि पो दूर हैं। इस क्षेत्र को जाने के लिए उज्जैन-इन्दौर और शाजापुर से सर्वदा असे उपलब्ध होती हैं। यह क्षेत्र मध्यप्रान्तीय शाजापुर जिले के कल्याणपुर ग्राम में विद्यमान है। वह क्षेत्र भगवान् पाश्वनाथ की प्रतिमा के अतिशयों के कारण अतिशय क्षेत्र की श्रेणी में प्रसिद्ध है। इस मूर्ति के विविध चमत्कारों की कथाएँ जनश्रुतियों के आधार पर प्रसिद्ध हैं। मक्सीपार्श्वनाथ क्षेत्र पूजा-काव्य मक्सीपार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र के पूला-काव्य की रचना किसी अज्ञात काय द्वारा की गयी हैं। कवियर ने इस पूजाकाव्य में 27 पद्यों की रचना पाँच प्रकार के छन्दों में गुम्फित कर तीर्थक्षेत्रों के प्रति अपना बिनम्रतया भक्तिभाव प्रदर्शित किया है। काव्य में विविध अलंकार, प्रसादगण और सरलरीति से शान्तरम की सरिता प्रवाहित की गयी है। इस पूजा-काव्य के कतिपय पद्यों का दिग्दर्शनअर्चा की स्थापना-दोहा छन्द श्री पारस परमेश जी, शिखर शीष शिवधार। यहाँ पूजते भाव से, थापन कर त्रयवार।। जल अर्पण करने का पद्य-अष्टक छन्द ले निर्मल नीर सुछान, प्राशुक ताहि करौं मन वच तन कर वर आन, तुम ढिग धार धरी। 1. बृहत् महावीर कीर्तन : सं. मंगलसैन विशान्द, प्र.-महावीर क्षेत्र, पृ. 118-151 318 :: जैन पूजा काव्य : एक चिन्तन
SR No.090200
Book TitleJain Pooja Kavya Ek Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size7 MB
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