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________________ तात्पर्य - सिद्धार्थ राजा के पुत्र ( महावीर ) को भारतदेश के विदेह कुण्डपुर में सुन्दर सोलह स्वप्नों को देखकर देवी प्रियकारिणी (त्रिशला ) ने चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को फाल्गुनि नक्षत्र में अपने उच्चस्थान वाले सौम्यग्रह और शुभलग्न में जन्म दिया तथा चतुर्दशी को पूर्वाह्न में इन्द्रों ने रत्नघटों से वीर का अभिषेक किया। श्वेताम्बर साहित्य में विदेह कुण्डपुर ज्ञातमस्तीह भरते महीमण्डलमण्डनम् । क्षत्रिय कुण्डग्रामाख्यं, पुरं मत्पुरसोदरम् ॥' भावार्थ - इस भारत में पृथिवीमण्डल का आभूषण रूप तीर्थक्षेत्र के समान प्रसिद्ध क्षत्रिय कुण्डग्राम नामवाला नगर है। श्वेताम्बर साहित्य में कुण्डग्राम, क्षत्रिय कुण्ड, उत्तरक्षत्रिय कुण्डपुर, कुण्डपुर सन्निवेश, कुण्डग्राम नगर, क्षत्रिय कुण्डग्राम आदि अनेक नाम भगवान महावीर के जन्मनगर विषयक प्राप्त होते हैं पर वे सब नाम एक ही नगर के महावीर के जन्म स्थान हैं। महाराज सिद्धार्थ और महावीर क्षत्रिय कुल में उत्पन्न हुए थे, उनके वंश का नाम ज्ञातृवंश और गोत्र काश्यप था। महारानी त्रिशला के पितृपक्ष का गोत्र वासिष्ठ था। ज्ञातृवंश के होने के कारण महावीर को नातपुत (ज्ञातृपुत्र) भी कहा जाता था। महाराज सिद्धार्थ कुण्डपुर के राजा थे। इस विषय में दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों ही परम्पराएँ सहमत हैं। उनके महल का नाम नन्द्यावर्त, जो कि सात खण्डों से विभूषित था। इस प्रकार के वैभव सम्पन्न परिवार में तीर्थंकर महावीर का जन्म हुआ । यह कुण्डपुर नगर वैशाली संघ या वज्जिसंघ में सम्मिलित था। कुण्डलपुर तीर्थर्य-पूजन (महावीर जयन्ती - पूजा ) कुण्डलपुर तीर्थ पूजा - काव्य अथवा महावीर जयन्ती पूजा- काव्य की रचना कविवर राजमल पवैया ने की है। इसमें 34 पद्य चार प्रकार के छन्दों में निबद्ध हैं। इसमें उपमा, रूपक एवं स्वभावोक्ति अलंकारों के द्वारा शान्तरस की शीतल वर्षा की गयी है। भाषा में प्रसाद गुण झलकता है। इस काव्य के शब्दों के पठनमात्र से मानस में भाव झलकने लगता है। उदाहरणार्थ कुछ पद्यों के उद्धरण यहाँ दिये जाते हैं -- जन्मोत्सव का वर्णन- महावीर की जन्मजयन्ती का दिन जग में है विख्यात । चैत्र शुक्ल की त्रयोदशी को हुआ विश्व में नवल प्रभात । 1 त्रिपटि शलाका पुरुष चरित । ५५४ : जैन पूजा काव्य एक चिन्तन
SR No.090200
Book TitleJain Pooja Kavya Ek Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size7 MB
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