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________________ जम्बूकुमार मुनिराज का विहार, तपस्या, मुक्तिप्राप्ति - पुनि आरजखण्ड विहारकीन, जम्बूदन में थिति योग लीन। सब करमन को क्षयकर मुनीश, शिववधू लही विसवास वीस || मथुरा तें पश्चिम कोस आध, छत्री महिमा है हुवे अगाध : ब्रजमण्डल में जे भव्य जीव, कार्तिक बंदि रथ का दूत सदीव || महिमा जम्बूस्वामी की, पौधे कही न जाय । के जाने केवल मुनी, कै उनमाँहि समाय ॥ ' वैशाली ( कुण्डग्राम, कुण्डलपुर, विदेह कुण्डपुर ) तीर्थक्षेत्र पूजा वैशाली - कुण्डग्राम की पौराणिक एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि प्राचीन साहित्य और इतिहास इस विषय में एक मत हैं कि भगवान् महावीर विदेह के अन्तर्गत कुण्डग्राम के उत्पन्न हुए थे। पौराणिक ग्रन्थों में भगवान महावीर का जन्मस्थान कुण्डपुर को ही माना गया है। उस कुण्डपुर की स्थिति स्पष्ट करने के लिए ही 'विदेहकुण्डपुर' अथवा 'विदेह जनपद स्थित कुण्डपुर' कहा गया है। इसका कारण यह ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में कुण्डपुर, कुण्डलपुर या कुण्ड ग्राम इन नामों वाले एक से अधिक नगर होंगे, अतः सन्देह के निवारण के लिए तथा निश्चित नगर का कथन करने के लिए कुण्डपुर के साथ विदेह शब्द का प्रयोग करना आवश्यक समझा गया। दिगम्बर और श्वेताम्बर दोनों सम्प्रदायों के ही साहित्य ग्रन्थों में इस विषय पर एक मान्यता पायी जाती है। इस विषय को सिद्ध करने के लिये दोनों ही साहित्य के कुछ प्राचीन ग्रन्थों के उद्धरण प्रस्तुत किये जाते हैं । दिगम्बर साहित्य में कुण्डपुर आचार्य पूज्यपाद विरचित संस्कृत निवांण भक्ति में तोर्थंकर महावीर के जन्म का वर्णन किया गया है सिद्धार्थनृपति तनयो भारतवास्ये विदेहकुण्डपुरे। देव्यां प्रियकारिण्यां, सुस्वप्नान्सम्प्रदर्श्य विभुः । चैत्रसित पक्ष फाल्गुनि, शशांकयोगे दिने त्रयोदश्याम् । जज्ञे स्वोच्चस्थेषु ग्रहेषु तौम्येषु शुभलग्ने ॥ हस्ताश्रिते शशांके, चैत्रज्योत्स्ने चतुर्दशी दिवसे । पूर्वा रत्नघटैः विबुधेन्द्राश्चकुरभिषेकम् ॥' 2 1. बृहत् महावीर कीर्तन, पृ. 780-72 ५. श्री विमलभक्ति संग्रह सं. क्षु सन्नतिसागर प्र. - स्याद्वाद बिमलझानपीठ सोनागिर (दतिया), प्रथम संस्करण, पृ. 106 निवांणभक्ति श्लोक 4,5,6 जैन पूजा - काव्यों में तीर्थक्षेत्र 297 ::
SR No.090200
Book TitleJain Pooja Kavya Ek Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size7 MB
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