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________________ मन्दिर के परकोटा के पास पाण्डव मुनिराजों की कायोत्सर्गासन मूर्तियाँ विराजमान हैं। परकोटा के अन्दर प्रायः 9500 श्वे. मन्दिर अपूर्व शिल्पकला से परिपूर्ण दर्शनीय हैं। आदिनाथ, सम्राट कुमार पाल, विमलशाह और चतुर्मुखमन्दिर विशेष उल्लेखनीय हैं। रतनपोल के पास एक विशाल दि, जैन मन्दिर फाटक के अन्दर है। क्षेत्रीय पूजा-काव्य इस तीर्थक्षेत्र की पूजा के काव्य का निर्माण भगोतीलाल कवि ने वि. सं. 1949 में, पौषकृष्ण द्वादशी तिथि शुक्रवार को किया था। इसमें सत्ताईस काव्य पाँच प्रकार के छन्दों में रचित हैं। उदाहरणार्थकतिपय काव्यों का प्रदर्शन श्री शत्रुजय शिखर अनूप, पाण्डव तीन बड़े शुभ भूप । आठ कोटि मुनि मुक्ति प्रधान, तिनके चरण नमूं धर ध्यान।। तहाँ जिनेशर मन प्यरूप, शान्तिनाथ र पल अनः । तिनके चरण न, तिहुँकाल, तिष्ठ तिष्ठ तुम दीन दयाल जय "धर्मचन्द्र' मुनीम सोय, मो अल्पबुद्धि सों मेल होय । ये धर्मीजन हैं बहुत जोय, सो कही उन्होंने मोहि सोया तुम शत्रुजय पूजा बनाय, तो बाँचे भविजन प्रीति लाय। जय लाल 'भगोतीलाल' माय, तिन रची पाठ पूजन जु सोय॥ जय संवत्सर गुनईश जोय, अरु ता ऊपर गुनचास होय। जय पौष सुदी द्वादश जु होय, अरु वार शुक्र जानों जु सोय।' उत्तरप्रदेशीय हस्तिनापुर तीर्थक्षेत्र पूजा-काव्य क्षेत्र-परिचय-हस्तिनापुर पश्चिमी उत्तरप्रदेश के मेरठ जिला में ऐतिहासिक महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह अत्यन्त प्राचीन तीर्थक्षेत्र प्रसिद्ध है। यहाँ पर सोलहवें तीर्थकर शान्तिनाथ, सत्रहवें तीर्थंकर कुन्थुनाथ और अठारहवें तीर्थंकर अरनाथ के गर्भकल्याणक, जन्मकल्याणक, दीक्षाकल्याणक एवं केवलज्ञानकल्याणक, इस प्रकार कुल बारह कल्याणक-महोत्सव, देवों तथा मानवों द्वारा मनाये गये। अतः तीर्थंकरों को कल्याणकभूमि होने से यह नगर इतिहासातीत काल से तीर्थक्षेत्र के रूप में मान्य रहा है। इसके अतिरिक्त भगवान आदिनाथ का धपविहार जिन देशों में हुआ, उनमें 1. गृहनुमहावीर कीर्तन, पृ. 748-761 294 :: जैन पूजा काव्य : एक चिन्तन
SR No.090200
Book TitleJain Pooja Kavya Ek Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size7 MB
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