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________________ साधना करते हुए परमात्म पद को प्राप्त हुए। पटना स्टेशन के पास ही एक टेकरी (तपोभूमि) पर चरण पाटुकाएँ विराजमान हैं जो भव्य यात्री को शीलवती बनने के लिए उत्साहित करती हैं। पास में एक जैन मन्दिर व धर्मशाला है। शिशुनागवंश के राजा अजातशत्रु, श्री इन्द्रभूति और सुधर्माचार्य जी के निकट जैनधर्म में दीक्षित हुए थे। उनके प्रपौत्र महाराजा उदयन ने पाटलिपुत्र नाम का राजनगर बसाया था और सुन्दर जिनमन्दिर निर्मित कराये थे। यूनानियों ने इस नगर की बहुत प्रशंसा की थी। मौर्यकाल की दि. जैन प्रतिमाएँ यहाँ भूगर्भ में जैसी निकला करती हैं वैली दो प्रतिमाएँ पटना के संग्रहालय में सुरक्षित हैं। दि. जैनियों के यहाँ पाँच मन्दिर और एक चैत्यालय है। जनधर्म का सम्पर्क पटना से अतिप्राचीन काल का है। क्षेत्रीय पूजा-काव्य बाबू पन्नालाल जी ने पटना सिद्ध क्षेत्र पूजा-काव्य की रचना की है। इस काय में इकतीस पद्य, चार प्रकार के छन्दों में निबद्ध हैं। अलंकार एवं भाषा माधुर्य से शान्तरस का प्रवाह प्रवाहित होता है। उदाहरणार्थ कतिपय पद्यक्षेत्र परिचय उत्तम देश बिहार में, पटना नगर सुहाय । सेठ सुदर्शन शिव गये, पूजों मन बच काय । सेठ का पूर्वभव-रचयिता का भाव इक ग्वाल गमारा, जप नवकारा, सेठ सुदर्शन तन पायी। सुत लाल बिहारी, आज्ञाकारी, पन्ना' यह पूजा गायी।' खण्डगिरि-उदयगिरि तीर्थक्षेत्र पूजा-काव्य कलिंग प्रान्त में भवनेश्वर क्षेत्र से पाँच मील पश्चिम को ओर खण्डगिरि और उदयगिरि नामक दो पहाड़ियों हैं। मार्ग में भुवनेश्वर नगर मिलता है जिसमें एक विशाल शिवमन्दिर दर्शनीय है। मार्ग में सघन वृक्षों से हरा-भरा वन है। इन पहाड़ियों के बीच में एक तंग घाटी है। यहाँ पत्थर काटकर बहुत-सी गुफ़ाएँ और मन्दिर निर्मित हैं जो ईस्वी सन् से प्रायः एक सौ पचास वर्ष पूर्व से पाँच सौ वर्ष बाद तक के बने हुए हैं। यह स्थान अत्यन्त प्राचीन और महत्वपूर्ण है। उदयगिरि पहाड़ी का प्राचीन नाम कुमारी पर्वत है। 1. बृहत् महावीर कीतन, पृ. 730-733 286 :: जैन पूजा काव्य : एक चिन्तन
SR No.090200
Book TitleJain Pooja Kavya Ek Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size7 MB
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