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________________ संस्कारों का स्वरूप-विश्लेषण और विधि आधान संस्कार जब स्त्री विवाह के अनन्तर प्रथम ऋतुमती होती है तब आधान क्रिया का समय होता है। प्रथम ऋतुमती स्त्री चौथे या पाँचवें दिन जब स्नान कर शुद्ध हो जाए उस दिन यह क्रिया करनी चाहिए। सौभाभवती हारियों उस स्त्री तथा उसके पति को मण्डप में लाकर वेदी के निकट विराजमान करा दें। शुद्ध वस्त्र धारण कर संस्कार की विधि कराना आवश्यक है। प्रतिष्ठाचार्य निम्नलिखित विधि कराएँ। प्रथम मंगलाचरण, मंगलाष्टक, हस्तशुद्धि, भूमिशुद्धि, द्रव्यशुद्धि, पात्रशुद्धि, मन्त्रस्नान, साकल्यशुद्धि, समिधाशुद्धि, होमकुण्ड शुद्धि, पुण्याहवाचन कं कलश की स्थापना, दोपक प्रज्वलन, तिलककरण, रक्षासूत्रबन्धन, संकल्प करना, यन्त्र का अभिषेक, शान्तिधारा, गन्धोदक बन्दन, इसके पूर्व अर्धसमर्पण, पूजन के प्रारम्भ में स्थापना, स्वस्तिवाचन, इसके बाद देव-शास्त्र-गुरुपूजा, एवं सिद्धयन्त्र का पूजन करना चाहिए। अनन्तर शास्त्रोक्त विधिपूर्वक पति और भायां विश्वशान्तिप्रदायक हवन को करें। प्रीति-संस्कार द्वितीयप्रीति संस्कार गर्भाधान से तीसरे माह में किया जाता है। प्रथम ही गर्भिणी स्त्री को तैल उबटन आदि लगाकर स्नानपूर्वक वस्त्र-आभूषणों से अलंकृत करें तथा शरीर पर चन्दन आदि का प्रयोग करें। इसके बाद प्रथम संस्कार की तरह हवन क्रिया करें। आचार्य कलश के जल से दम्पती का सिंचन करें। पश्चात् आचार्य-त्रैलोक्यनाथो भव, त्रैकाल्यज्ञानी भव, त्रिरत्नस्वामी भव, इन तीनों मन्त्रों को पढ़कर दम्पतो पर पुष्प (पीले चावल) छिड़के। शान्ति पाठ-विसर्जन पाठ पढ़कर थाली में पुष्प-क्षेपण करें। "ओं कं ठं व्हः पः असिआउसा गर्भिक प्रमोदेन परिरक्षत स्वाहा" यह मन्त्र पढ़कर पति गन्धोदक से गर्भिणी के शरीर का सिंचन करें, स्त्री अपने उदर पर गन्धोदक लगाएँ। सुप्रीति क्रिया (संस्कार) इस संस्कार को सुप्रीति अथवा पुंसवन कहते हैं। यह संस्कार गर्भ के पांचवें माह में किया जाता है। इसमें भी प्रीतिक्रिया के समान सौभाग्यवती स्त्रियाँ उस गर्भिणी को स्नान के बाद बस्त्राभूषणों से तथा चन्दन आदि से सुसज्जित कर मंगलकलश लेकर बेदी के समीच लाएं और स्वस्तिक पर पंगलकलश रखकर, जालवस्त्राच्छादित पाटे पर दम्पती को बंटा दें। इस समय घर पर सिन्दूर तथा अंजन 212 .. दै पूजा काव्य : एक चिन्तन
SR No.090200
Book TitleJain Pooja Kavya Ek Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size7 MB
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