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________________ 1 | संस्कार का प्रयोजन : “संस्कारैः संस्कृतास्ते”। अर्थात् वे मानव या पद संस्कारों से हैं। संस्कार भेद जिन संस्कारों से सुसंस्कृत मानव द्विज कहा जाता है ये संस्कार सोलह होते हैं - (1) आधान संस्कार (2) प्रीति संस्कार, ( 9 ) सुप्रीति संस्कार, (4) धृति, (5) मोद, (6) जातकर्म, ( 7 ) नामकरण, (B) वहिर्यान, ( 9 ) निषद्या, ( 10 ) अन्नप्राशन, (11) व्युष्टि, ( 12 ) केशवाय अथवा चौलकर्म, ( 19 ) लिपिसंख्यान, ( 14 ) उपनीति, ( 15 ) व्रताचरण, ( 16 ) विवाह संस्कार * । जीवन की कल्याणकारी विशेष क्रिया को 'संस्कार' कहते हैं। अथवा जिस विशेष क्रिया से जीवन में सुधार या परिवर्तन हो जाए उसे संस्कार कहते हैं। ये संस्कार धर्मशास्त्र की विधि से किये जाते हैं। संस्कारों की सामान्य विधि प्रत्येक संस्कार को सम्पन्न करने के लिए पहले मण्डप बनाया जाता है। मण्डप में वेदी तीन कटनीवाली बनायी जाती है जिस पर सिंहासन सहित सिद्ध यन्त्र विराजमान किया जाता है, उसके सामने तोन कटनीवाले तीन कुण्ड या एक कुण्ड बनाया जाता है जिसमें हवन क्रिया होती हैं, हवन या यज्ञ भी एक प्रकार का पूजन ही है। यह हवन क्रिया व्रतोद्यापन, विवाह, संस्कार, पातक के समय बेदी मन्दिर प्रतिष्ठा, कलशारोहरण, नवीनगृह निर्माण, गृहशान्ति और महारोगादि के समय की जाती हैं। बाघों की ध्वनि होती एवं समाज के बन्धु और सम्बन्धियों को आमन्त्रित किया जाता है। प्रतिष्ठाचार्य को आमन्त्रित करना आवश्यक है। अष्ट द्रव्य को तैयार करना, हवन के लिए साकल्य तैयार करना। इन संस्कारों के योग्य आसन चौकी आदि को सुसज्जित करना । 1. भारतीय सांस्कृतिक निधि डॉ. रामजी उपाध्याय प्र. - गांधी विश्वपरिषद् ढाना (सागर) वि. सं. 2015, T. 201 ५. पोडशसंस्कार सं. एवं प्र. जिनवाणी प्रचारक कार्यालय कलकत्ता संस्कारप्रकरण । सं. नरेन्द्रकुमार जैन । जैन पूजा काव्यों में संस्कार 201
SR No.090200
Book TitleJain Pooja Kavya Ek Chintan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDayachandra Jain
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages397
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devotion
File Size7 MB
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