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________________ गणराजा सिद्धार्थ थे। उनके सुपुत्र महावीर हैं। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि भारत वर्ष के पूर्वीच आंचल के बिहार प्रदेश में वैशाली के उपनगर क्षत्रिय कुण्ड (वसादग्राम) के ज्ञातृगणतन्त्र के काश्यपगोत्रीय राजा सिद्धार्थ और माता त्रिशाला के यहाँ 'चैत सुदि तेरस' के दिन भगवान महावीर का जन्म हुआ था। आधुनिक कालगणना के अनुसार उनकी जन्मतिथि 27 मार्च सोमवार ई. पू. 599 मानी जाती है। महावीर की माता वैशाली की राजकुमारी रानी त्रिशला थी । त्रिशला 'वैशाली' गणराज्य के महामान्य राष्ट्राधीश चेटक की पुत्री थी। त्रिशला का दूसरा नाम प्रियकारिणी था। महावीर के नाना महाराजा चेटक थे। कलिंग देश के राजा जितशत्रु अपनी बेटी यशोदा का विवाह वर्द्धमान के साथ करना चाहते थे। भारत का पूर्वखण्ड उन दिनों शासनतन्त्रों की प्रयोगभूमि था। मगध, वत्स आदि राजतन्त्र के समर्थक थे। महावीर मूलतः गणतन्त्र के राजकुमार थे, परन्तु उनके पारिवारिक सम्बन्ध दोनों तन्त्रों से थे। राजकुमार महावीर को राजवैभव सर्वोच्च रूप में प्राप्त था। परन्तु महावीर का जाग्रत मन विवाह और वैभव भोग की ओर आकर्षित नहीं हो सका । यौवन के रंगीन क्षणों में भी वे जन्मजात योगी रहे। इस प्रकार आधुनिक कवियों ने अपने महाकाव्यों में भगवान महावीर के राजवंश का वर्णन ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार सफलतापूर्वक किया हैं। नामों के प्रतीकार्थ वर्द्धमान - भगवान महावीर के गर्भावतरण के बाद वैशाली में पिता सिद्धार्थ के वैभव, यश, प्रताप, प्रभाव और पराक्रम में वृद्धि प्राप्त होने लगी। और स्वयं बालक तीर्थंकर भी द्वितीया के चन्द्र की भाँति वृद्धि को प्राप्त हुए। अतः उनका नाम 'वर्द्धमान' रखा गया। महावीर के विभिन्न कार्यकलापों के कारण उनके अनेक नाम रूढ़ हुए हैं। उनके नामों में केवल नाम-निर्देश ही नहीं, अपितु तदनुकूल वास्तविक गुण भी कारण थे । "खेत लहलहा उठे भरपुर बढ़ा पल-पल राजा का कोष दिया तप, 'वर्द्धमान' शुभनाम हुआ नगरी का संवर्धन" ( श्रमण भगवान महावीर चरित्र, पु. 25) बालक के आगमन से वैभव की वृद्धि हुई, अतः वर्द्धमान नाम सार्थक है । जन्म के बारहवें दिन राजा सिद्धार्थ ने एक विशाल प्रीतिभोज का आयोजन किया, जिसमें अपने समस्त मित्र, स्वजन- परिजनों को आमन्त्रित किया। सभी को भोजन, वस्त्र आदि से सम्मानित करके राजा सिद्धार्थ ने उनके समक्ष अपने विचार व्यक्त किये "जल से यह बालक देवी त्रिशला के गर्भ में आया है, उसी दिन से हमारे भगवान महावीर का चरित्र-चित्रण :17
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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