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________________ गृहस्थावस्था में युवक बर्द्धमान रम गये थे। लेकिन कुछ ही दिनों में वासना और विवेक में संघर्ष आरम्भ हुआ। वर्द्धमान चित्त के समस्त विकारों-वासना आदि के विरुद्ध संघर्ष करने उद्यत हुए। (3) वर्द्धमान का आत्मचिन्तन-माता-पिता की मृत्यु को घटना अनुभव करके वर्द्धमान के अन्तःकरण में वैराग्य भावना जाग उठी। युवक वर्द्धमान संसार से विरक्त होकर दीक्षा लेने का संकल्प करते हैं। संसार क्षणभंगुर है, देह नश्वर है। अतः आत्मकल्याण के लिए शेष समय का उपयोग करना चाहिए। वे कहते हैं "मूल्यवान है एक-एक पल इस जीवन का, हो जाए व्यतीत, न फिर यह माँगा जाए।" (वही, पृ. 116) इस प्रकार मुनिदीक्षा लेने का दृढ़ संकल्प वर्द्धमान ने किया। अपना संकल्प माई नन्दिवर्धन से कहा। भाई विरोध करता है। अन्त में दो साल के बाद महल छोड़ने का निश्चय व्यक्त करते हैं। (4) महलों में योगी-वर्द्धमान महलों में रहकर भी योगी थे। वे भोगी नहीं थे, नीरोग थे। उन्हें मुक्ति के वैभव का आकर्षण रहा। परपीड़ा को दूर करने के लिए धनवैभव का उपयोग किया। दान की पराकाष्ठा उनके चरित्र में है। (3) बिदा की वेला-गौतम बुद्ध की यशोधरा की मनोव्यथा का जिस प्रकार मैथिलीशरण गुप्तजी ने 'यशोधरा' चम्पू काव्य में चित्रण किया है, उसी प्रकार महाकवि योधेयजी ने भी बर्द्धमान की विद्रोही यशोदा की अन्तर पीड़ा को मार्मिक ढंग से व्यक्त किया है। यशोदा की व्यथित अवस्था को देखकर वर्द्धमान की आँखों से अश्रुधारा बहने लगी। वर्द्धमान के मुख-मण्डल को देखकर यशोदा शान्त हुई और उसके प्रति श्रद्धा का भाव जाग उठा। चतुर्थ सोपान-भगवान महावीर की मुनिदीक्षा (1) आत्म-निर्णय के क्षण-वर्द्धमान के मन ने संकल्प किया कि___ "पीड़ा में कोई पलता हो, लँगड़ाकर कोई चलता हो। उसका सम्बल बनकर जीना, जो दुःख में सड़ता गलता हो।" (वही, पृ. 151) इस तरह बर्द्धमान के हृदय में दीन-दलितों के प्रति करुणा का स्रोत उमड़ पड़ा और परोपकार की भावना जाग उठी।। (2} सहनशीलता-गुलाब के फूल, धरती, तवे पर की रोटी की तरह दूसरों के द्वारा दिये गये कष्टों को सहन करके उनका उपकार करती है। उसी तरह मनुष्य को आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में वर्णित महावीर-चरित्र :: 87
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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