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________________ उसके पश्चात् राजकीय उपवन के सौन्दर्य का चित्रण करके उसमें त्रिशला के विहार का चित्रण हैं। राजा उदयन की पुष्प-शोभा, हंस, कोकिल, भ्रमर, तितली आदि के प्रति सम्बोधन करके विश्व सौन्दर्य के चित्रण का आभास दिखलाया है। अन्त में वसन्त ऋतु की सन्ध्या का मनोहारी चित्रण अंकित है। आठवाँ सर्ग-जन्म-महोत्सव वि. सं. 542 वर्ष पूर्व चैत्र सुदी तेरस की मध्यरात्रि में भगवान का जन्म हुआ। उनके प्रभाव से क्षत्रिय कुण्डपुर ही नहीं, सारा संसार लोकोत्तर प्रकाश से पूर्ण हो गया और समस्त प्राणी मात्र ने अनिर्वचनीय आनन्द का अनुभव किया। जन्म के समय स्वर्ग में इन्द्रासन कम्पित हो उटा, और उसी समय देवकुमारियों तथा देवसमूह जन्मोत्सव में भाग लेने के लिए भूतल पर आये। जन्म के बारहवें दिन नामकरण संस्कार सम्पन्न हुआ और उनका नाम वर्द्धमान रखा गया। प्रस्तुत सर्ग में भगवान पहावीर का जन्म तथा जन्म-दिवस का उत्सव-वर्णन, दिव्य संगीत, भावी जीवन का आभास, जन्म-प्रभाव, आनन्दोत्सव, बालदर्शन तथा बालकाल की लीलाओं का चित्रण है। ___भगवान महावीर का रंग गोरा था। उनके दोनों कपोल गुलाब के समान थे, माधों में सोने के खिलौने थे, दोनों पैर निरन्तर हिलते थे। वह दृश्य अत्यन्त आकर्षक था। उनके चेहरे की कान्ति स्वगोय प्रभा के समान थी। उनकी आँखें राजा के नेत्र के समान, भौएँ मैंबरों के समान थीं। त्रिशला के मुख की तरह उसके हनु, ओठ और भाल थे। एक वयोवृद्ध ने बालक को देखते ही कहा"नृपाल! लोकोत्तर पुत्र आपका, अपूर्व होगा बल-कीर्ति-धर्म में।" (वही, पृ. 246) गलक वर्द्धमान चलने लगे और साथ-साथ उसकी बुद्धि भी विकसित होती गयी। आठवें वर्ष में उसे विश्व के पदार्थों का ज्ञान हुआ, समस्त विद्याएँ हृदयंगम हुईं, सर्व कलाओं का ज्ञान हुआ। उसके सानिध्य में ग्रीष्म काल भी शीतकाल लगता था। इस प्रकार महावीर के बाल्यकाल का वर्णन अनूप कवि ने श्रद्धा और भक्ति-भाव से किया। नवम सर्ग-किशोर महावीर अनूप कवि ने वर्द्धमान की बाल क्रीड़ाओं का मनोरम चित्रण किया है। सर्ग के प्रारम्भ में ग्रीष्म ऋतु का पारम्परिक पद्धति से चित्रण है और उसके बाद आमली क्रीड़ा का चित्रण है। एक बार जब कुपार महावीर आमलकी नामक खेल खेल रहे थे तब इन्द्र द्वारा प्रेरित एक संगमदेव उनके साहस तथा सामर्थ्य की परीक्षा लेने आया। वह 50 :: हिन्दी के महाकाव्यों में चिन्त्रित भगवान महावीर
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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