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आधुनिक महावीरचरित महाकाव्य
आधुनिक हिन्दी महाकाव्य की परम्परा में भगवान महावीर चरित्रविषयक महाकाव्य का सृजन 1951 ई. में महाकवि अनूप शर्मा कृत 'वर्द्धमान' महाकाव्य से होता है। इसका प्रकाशन भारतीय ज्ञानपीठ काशी से हुआ है। समस्त इतिहासकारों ने एवं आलोचकों ने इसे प्रथम महावीर चरित्र महाकाव्य के रूप में गौरवान्वित किया हैं। 1959 ई. में कवि वीरेन्द्र प्रसाद जैन कृत 'तीर्थंकर भगवान महावीर' नामक महाकाव्य का प्रकाशन अखिल विश्व जैन मिशन अलीगंज (एटा) उत्तरप्रदेश के द्वारा हुआ, जिसका दूसरा संस्करण 1965 ई. में प्रकाशित हुआ। 1963 ई. में कवि धन्यकुमार जैन 'सुधेश' कृत 'परमज्योति महावीर' नामक महाकाव्य, श्री फूलचन्द जवरचन्द गोधा, जैन ग्रन्थमाला ४, सर हुकुमचन्द मार्ग, इन्दौर द्वारा प्रकाशित हुआ । सन् 1973 में कवि खुवीरशरण 'मित्र' कृत 'वीरायन' नामक महाकाव्य का प्रकाशन सदर, मेरठ से हुआ। मार्च 1976 में कवि डॉ. शैलबिहारी गुप्त कृत 'तीर्थंकर महावीर महाकाव्य इन्दौर से प्रकाशित हुआ। अगस्त 1976 ई. में कवि अभय कुमार बौधेव कृत 'श्रमण भगवान महावीर - चरित्र' नामक महाकाव्य, भगवान महावीर प्रकाशन संस्थान, जैननगर, मेरठ द्वारा प्रकाशित हुआ ।
उक्त सभी महावीर चरित्र रूप छह महाकाव्य 1951 ई. से 1976 ई. तक के बीच लिखे गये। अतः समय की दृष्टि से वे आधुनिक महाकाव्य हैं। आधुनिक महाकाव्य की परिवर्तित मान्यताओं के अनुसार भी ये आधुनिक महाकाव्य की कोटि में आ सकते हैं। इन महाकाव्यों के समस्त कवियों ने अपनी-अपनी काव्यरचना को महाकाव्य की संज्ञा, भूमिका में प्रदान की है। इस बीच में और भी महावीर चरित का काव्य रूप सृजन हुआ। मगर अध्ययन की सुविधा की दृष्टि से उक्त छह महाकाव्यों का चयन महावीर के चरित्र चित्रण के अनुशीलनार्थ प्रतिनिधि रूप में किया है। आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में वर्णित भगवान महावीर के चरित्र का स्वरूप क्रमशः प्रस्तुत किया जाता है ।
'वर्द्धमान' महाकाव्य
पं. पन्नालालजी के शब्दों में- "दिगम्बर आम्नाय में तीर्थंकर आदि शलाका पुरुषों के चरित्र के मूलस्तम्भ, प्राकृत भाषा के 'तिलोयपण्णत्ति' ग्रन्थ में मिलते हैं। इसके चतुर्थ महाधिकार में तीर्थंकर किस स्वर्ग से निकलकर आये, उनके नाम, नगरी और माता-पिता का नाम, जन्मतिथि, नक्षत्र, वंश, तीर्थंकरों का अन्तराल, आयु, कुमारकाल, शरीर की ऊँचाई, वर्ण, राज्यकाल, वैराग्य का निमित्त, चिह्न, दीक्षा, तिथि, नक्षत्र, दीक्षावन, षष्ट आदि प्राथमिक तप, साथ में दोक्षा लेनेवाले मुनियों की संख्या, पारणा, कुमारकाल में दीक्षा ली या राज्यकाल में दान में पंचाश्चर्य होना, छद्मस्थकाल, कंवलज्ञान की तिथि नक्षत्र - स्थान, केवलज्ञान की उत्पत्ति का अन्तराल काल, समवसरण
आधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में वर्णित महावीर चरित्र :: 47