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________________ आधुनिक हिन्दी महाकाव्य का प्रारम्भ संस्कृत के शास्त्रीय शैली के महाकाव्यों की पद्धति का वास्तविक अनुकरण आधुनिक हिन्दी में बीसवीं शताब्दी में प्रारम्भ हुआ। श्री अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' ने सन् 1914 में 'प्रियप्रवास' की रचना खड़ी बोली हिन्दी में संस्कृत की शास्त्रीय शैली पर करने का प्रथम प्रयास किया। 'हरिऔध' जी ने 'प्रियप्रवास' को रचना में पौराणिक बातों का बौद्धिकीकरण कर आधुनिक युग के लिए विश्वसनीय बनाया। यह प्रवास द्विवेदी युग की पुनरुत्थानवादी सांस्कृतिक राष्ट्रीयता की प्रवृत्ति के अनुरूप थो। पुनरुत्थानवादी राष्ट्रीयता की प्रवृत्ति की प्रेरणा से ही आधुनिक युग में खड़ी बोली में अनेक महाकाव्य लिखे गये। इन सभी प्रबन्धकाव्यों को उनके कवियों ने महाकाव्य माना है। और उनकी रचना भी मूलतः महाकाव्य के शास्त्रीय लक्षणों को दृष्टि में रखकर ही हुई है। आधुनिक काल में कृष्णचरित्र पर लिखे काव्यग्रन्थों में 'हरिऔध' जी का प्रियप्रवास' प्रमुख है। कृष्णचरित्र से सम्बन्धित अलौकिक कथाओं की व्याख्या कवि ने अपने ढंग पर की है। आधुनिक हिन्दी महाकाव्य के कथास्रोत प्रसादोत्तर माहाकाव्यों में कथानक के प्रमुख स्रोत पुराण और इतिहास रहे हैं। किन्तु सम-सामयिक जीवन की घटनाएँ, परिस्थितियों एवं व्यक्तित्व भी महाकाव्य रचना के आधारभूत प्रतिमान रहे हैं। उदाहरण के लिए 'वैदेहीवनवास', 'कृष्णायन', 'साकेतसन्त', 'जयभारत', 'पार्वती', 'रश्मिरथी', 'एकलव्य', उर्मिला', 'उर्वशी', 'कुरुक्षेत्र', 'दमयन्ती', 'रामराज्य' आदि महाकाव्यों की कथावस्तु पुराणों पर आधारित है, तो 'नूरजहाँ', 'सिद्धार्थ', 'वर्द्धमान', 'मीरा', 'झाँसी की रानी', 'वाणाम्बरी', 'विक्रमादित्य' आदि महाकाव्य इतिहास पर आधारित हैं। इन महाकाव्यों की कथावस्तु इतिहास, पुराण पर आधारित होते हुए भी इनमें कथाचयन की नवीनता, मौलिक प्रसंगों की उद्भावना एवं मार्मिक प्रसंगों की सृष्टि है। __ वर्तमान युग का उत्कृष्ट महाकाव्य 'लोकायतन' है। वर्तमान युग में निराला, पन्न, भगवतीचरण वर्मा, रामकुमार वर्मा, दिनकर तथा बच्चन आदि के काव्य प्रकाश में आये हैं। सुमित्रानन्दन पन्त जी का 'लोकायतन' एक उत्कृष्ट प्रबन्ध काव्य है। उसमें दार्शनिक विचारों की अभिव्यक्ति में ही कथा का विकास होता है। लोकायतन' वर्तमान की वह गाथा है, जो न अतीत की ओर मुड़ती है और न उसकी ओर से मुँह मोड़ती है। भारतीय लोकभूमि पर विश्व-मानव के अन्तर-बाह्य विकास की परिकल्पना इसमें चित्रित हुई है। पन्त जी के शब्दों में लोकायतन ग्राम धरा के आँचल में जनभावना की छन्दों में बैंधी युग जीवन की भागवत कथा है। जाधुनिक हिन्दी महाकाव्यों में वर्णित महावीर-चरित्र :: 48
SR No.090189
Book TitleHindi ke Mahakavyo me chitrit Bhagavana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushma Gunvant Rote
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages154
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, & Story
File Size3 MB
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